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आशा वर्करों ने खंड चिकित्सा अधिकारी राजपुर को दिया ज्ञापन

 

 

अच्छर तेजवान 

जिला सिरमौर का सबसे संवेदनशील क्षेत्र पांवटा साहिब में आशा वर्करों ने काम करना बंद कर दिया है। कोरोना वायरस के खतरे मे सबसे अहम भूमिका निभा रही आशा वर्कर ने खंड चिकित्सा अधिकारी खंड राजपूत अजय देओल  को ज्ञापन दिया है तथा दूसरा ज्ञापन एसडीएम पावंटा के माध्यम से प्रदेश
के मुखिया को भेजा गया है। इस दौरान आशा वर्करों ने एसडीएम दफ्तर के बाहर नारेबाजी भी की कि उनकी मांगों को पूरा किया जाए। दरअसल आशा वर्करों को कोविड-19 के लिए मार्च 2020 मे जून माह तक हजार रुपए और जुलाई से अगस्त माह तक 2000 रूपये दिए गए।

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https://www.youtube.com/watch?v=aH7ko8yQIk0&feature=youtu.be

 

सितंबर के बाद यह राशि बंद की गई है। आशा वर्करों ने कहा कि वह “हिम सुरक्षा अभियान” का काम तब तक नहीं करेगी जब तक उन्हें पूरी सुविधाएं मुहिम नहीं करवाई जाए। आशा वर्कर का कहना है कि वह फील्ड में काम तो
करेगी पर हिम सुरक्षा अभियान की उन्हें जो जिम्मेदारी दी गई है, वह नहीं निभाएगी।

बता दें कि पांवटा ब्लॉक के अंतर्गत 228 आशा वर्कर काम करती है, जिसमें ग्रामीण इलाकों में एक आशा वर्कर 1000 लोगों को सुविधाएं मुहिम करवाती है तो शहरी इलाकों में एक आशा वर्कर 25 सौ से लेकर 3000 तक लोगों को सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंचा रही थी।

वही आशा वर्कर प्रधान ने बताया कि उनके पास के किसी भी तरह की कोई सुरक्षा इंतजाम नहीं हैं और सीधे तौर पर उन्हें संक्रमण लोगों से मिलना होता है, वहीं उन्हें पूरा दिन फील्ड में काम करने के बाद केवल 100 रुपये  मिल रहे हैं जो कि सरकार द्वारा निर्धारित डेली वेज के लोगों की प्रतिदिन आय से भी बहुत कम है। इतना ही नहीं इस कोरोना काल में आशा वर्करों को सीधा संक्रमितो के सामने झोक दिया जाता है।  

उन्होंने कहा कि अब आशा वर्कर तब तक काम नहीं करेगी जब तक सरकार ने उनकी समस्या का समाधान नहीं करेगी उन्होंने बताया कि आशा वर्करों को 275 दिहाड़ी मिलनी चाहिए।

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