शिमला(पी.आई.बी):- केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने विभिन्न निर्यात संवर्धन परिषदों(ईपीसी) के पदाधिकारियों से मुलाकात कर देश के वैश्विक व्यापार,ज़मीनी स्थिति और निर्यातकों की समस्याओं पर विचार-विमर्श किया। पीयूष गोयल विशेष रूप से लॉकडाउन के बाद से ईपीसी के साथ कई बार विचार-विमर्श कर चुके हैं। बैठक में वाणिज्य सचिव डॉ. अनूप वाधावन,डीजीएफटी अमित यादव और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
उद्घाटन भाषण में पीयूष गोयल ने कहा कि देश में निर्यात के साथ-साथ आयात में सकारात्मक संकेत देखे जा रहे हैं। इस वर्ष अप्रैल में कोरोना महामारी के कारण निर्यात में तेज गिरावट आने के बाद यह अब गत वर्ष के स्तर पर पहुंच रहा है। पूंजीगत माल का आयात कम न होना सकारात्मक संकेत है और आयात में कमी मुख्य रूप से कच्चे तेल,सोना और उर्वरक में देखी गई है। उन्होंने कहा कि व्यापार घाटे में तेजी से कमी आ रही है और लचीली पूर्ति श्रृंखला तथा निर्यातकों के परिश्रम और धीरज के कारण विश्व व्यापार में हमारी हिस्सेदारी बढ़ी है। गोयल ने कहा कि हम अधिक विश्वसनीय और बेहतर व्यापार के आंकड़े तैयार करने का प्रयास कर रहे हैं,जिससे देश बेहतर योजना तैयार कर सके और इनके अनुरूप नीति बनाई जा सकें।
पीयूष गोयल ने कहा कि 24 केंद्रित निर्माण क्षेत्रों की पहचान की गई है। इन क्षेत्रों में विस्तार करने,संचालन को बढ़ाने, गुणवत्ता में सुधार करने और विश्व व्यापार और मूल्य श्रृंखला में भारत की भागीदारी बढ़ाने की क्षमता है। इन क्षेत्रों में आयात का विकल्प बनने और निर्यात को बढ़ावा देने की भी क्षमता है। उन्होंने कहा कि भारत को दुनिया भर में वैश्विक मूल्य श्रृंखला में एक भरोसेमंद और लचीले भागीदार के रूप मे देखा जाता है।
मर्चन्डाइज़ एक्सपोर्ट ऑफ इंडिया योजना(एमईआईएस) में हाल ही में हुए बदलाव के मुद्दे पर पीयूष गोयल ने कहा कि 2 करोड़ रुपए की अधिकतम सीमा से इस योजना के अंतर्गत छूट का दावा करने वाले 98 प्रतिशत निर्यातक प्रभावित नहीं होंगे। सरकार ने पहले ही एमईआईएस योजना के स्थान पर शुल्क में छूट या निर्यात होने वाले उत्पाद पर कर(आरओडीटीईपी) योजना की घोषणा की है। आरओडीटीईपी योजना के अंतर्गत अधिकतम मूल्य तय करने के लिये एक समिति भी गठित की गई है।यह नई योजना निर्यातक द्वारा पहले ही व्यय किए गए सन्निहित कर और शुल्क को वापस दिलाएगी।
गोयल ने ईपीसी के पदाधिकारियों से चुनौती,अनुभव और सुझाव को सुनने के बाद जानकारी के लिए उनका धन्यवाद व्यक्त किया और कहा कि आंकड़ों से कई बार निर्यातकों की परेशानी के बारे में जानकारी नहीं मिलती। उन्होंने विवेकाधीन खर्च पर मुख्य रूप से निर्भर कुछ क्षेत्रों के दबाव में होने की बात स्वीकार की। उन्होंने निर्यातकों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया और उनके मंत्रालय की सीमा से बाहर के विषयों को संबंधित विभाग के समक्ष उठाने का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि एसईजेड मुद्दे को वित्त मंत्रालय के साथ उठाया गया है। उन्होंने निर्यातकों से भारतीय निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए संचालन समिति के साथ मिलकर काम करने का आह्वान भी किया।
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