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प्रशासन द्वारा ई-रिक्शा चलाने पर रोक लगाने से ई-रिक्शा चालकों पर गहराया रोजी रोटी का संकट

पावंटा(ब्यूरो):- कोरोना कि दूसरी लहर में स्थिति भयानक होती जा रही है। एक तरफ संक्रमण बढ़ने से मौतों के आंकड़े बढ़ रहे हैं वहीं दूसरी तरफ लोगों का रोजगार ठप होने से रोजी रोटी का संकट छा गया है। हिमाचल प्रदेश जिला सिरमौर पांवटा साहिब के सैकड़ों ई रिक्शा चालक के पहिए थम गए हैं। प्रशासन द्वारा ई-रिक्शा चलाने पर रोक लगाई है। ऐसे में पांवटा साहिब के रिक्शा चालक यूनियन ने मांग कि है की  ई-रिक्शा संचालकों की ओर भी प्रदेश सरकार ध्यान दें।

ई-रिक्शा संचालक ने पावेजा ने बताया कि कोरोना कर्फ्यू से कामकाज पहले ही ठाप है। ऐसे में उनके सामने कई तरह की परेशानी सामने आ रही हैं। सबसे बड़ी समस्या घर में रोजी रोटी का संकट, मकान का किराया, दवाइयों का खर्चा, बच्चों की फीस, और कई समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं, जिन से उभरना उनके लिए नामुमकिन सा नजर आ रहा है।

पिछले साल भी कोरोना के कारण ऑटो रिक्शा चालकों को बड़े स्तर पर आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा था। इस साल भी कोरोना कर्फ्यू चलते काफी आर्थिक नुकसान झेल रहे हैं। प्रशासन द्वारा 2 सवारियों की लिमिट कर दी गई थी और अब पूरी तरह से ई रिक्शा चलाने पर रोक लगा दी गई है। इससे ई रिक्शा चालक सड़क पर आ गए हैं। पहले ही वह अपना घर बड़ी मुश्किल से चला रहे हैं और अब हालत दिन- प्रतिदिन खराब होती जा रही है। ऐसे में दो वक्त की रोजी-रोटी का संकट आ गया है।

ई-रिक्शा यूनियन के प्रधान नवाब खान ने बताया कि ई- रिक्शा का काम चलते- चलते ठप हो गया है। पहले प्रशासन द्वारा ई-रिक्शा बंद किए गए और  नई गाइडलाइन के अनुसार यात्री और महिंद्रा के रिक्शे को ही परमिशन दी गई। पिछले वर्ष ई-रिक्शा का टैक्स व किस्त देना नामुमकिन सा हो गया था। ऐसे में पांवटा साहिब में चल रहे 173 ई-रिक्शा फ्रंट फुट से बैकफुट पर आ गए थे। वही अब कोरोना कि दूसरी लहर ने भी ई रिक्शा चालकों को रुला कर रख दिया है।

उन्होंने कहा कि दिल्ली में केजरीवाल सरकार द्वारा कोरोना काल के चलते मजदूरों व ई- रिक्शा चालकों को पांच हज़ार रुपए दिए गए थे, लेकिन हिमाचल सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। उन्होंने मांग की है कि हिमाचल सरकार भी ई-रिक्शा चालकों की ओर ध्यान केंद्रित करें।

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