भुवनेश्वर (कृतिदीपा साहू)
माँ ही है मेरी भगवान
भूखे रहकर हमें पेट भर खिलाती है
रातभर जागकर हमें सुलाती है
धूप हो तो छाया बन जाती है
खुद नंगे पाँव रहकर ,नए जूते दिलाती है
सही ग़लत में भेद बताती है
क्या है जो माँ नहीं कर पाती है
पता नहीं इन गहरी बातों को कौन समझ पाता है
क्योंकि मेरे पल्ले कुछ नहीं आता है
पर मेरी खोज जारी है
बिन माँ के सब भिखारी हैं
तो सुनिए…
माँ से है सारा संसार ,
माँ ही है मेरी भगवान
माँ की कदर बस वो ही नहीं करता
जिसका भाग्य बस सोया रहता
उसकी भावनाएँ आँखों में झलकती हैं
वो हमारी हर एक बात समझती है
बहुत कुछ बनाके हमें खिलाती है
अपनी गोद-स्वर्ग में हमें सुलाती है
नींद न आये तो लोरी बहुत सुनाती है
हर काम हँसते -हँसते कर जाती है
क्या है जो माँ नहीं कर पाती ?
इसलिए माँ है सबसे महान
माँ ही है मेरी भगवान !
माँ ही है मेरी भगवान !
माँ ही है मेरी भगवान !