लेखक :- किशन सिंह गतवाल
सतौन (सिरमौर)
लेखक किशन सिंह गतवाल ने संपादक को पत्र लिखते हुए उसमे कहा है कि सरकार यदि करदाताओं से सब्सिडी युक्त वस्तुओं की आपूर्ति से हाथ खींच लेती है तो यह निर्णय न केवल अटपटा है, अपितु “सबका साथ सबका विकास” के उद्घोष से भी मेल नहीं खाता। क्योंकि जो लोग मोस्ट फैथफूल होते हुए समय-समय पर सरकारी कोष में अंशदान देकर सहायता करते हैं यदि प्रतिकार स्वरूप उन्हें मिलने वाली छोटी- मोटी सुविधाओं से वंचित किया जाए तो करदाताओं की आशाओं पर तुषार पात होगा।
क्योंकि अभी तक जो सुविधाओं के उपयोग करते रहे उससे एकदम वे मैहरूम हो जाएंगे। “यह प्रत्युपकार बहुत अखरेगा” यह एक प्रकार से दंडात्मक कार्य ही होगा। कुछ देने के पीछे एक अपेक्षा भी समृद्ध होती है, जो कि शून्य ही हुई।
उन्होंने कहा है कि इस निर्णय पर यदि पुनरावलोकन हो तो बहुत अच्छा होगा। सरकार कुछ क्षति पूर्ति शराब, सौंदर्यप्रसाधनों और अन्य गैरजरूरी वस्तुओं पर कर लगाकर पूरा कर सकती है। अत्यंत आज्ञाकारियों की पीठ सब्सिडी युक्त पीडीएस की सुविधाएं बहाल कर हो सकती हैं।