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आखिर निर्भया के हत्यारों का संरक्षक कौन?

निर्भया के हत्यारे चारों बलात्कारियों के बचाव के लिए आज उठाए गए कदम ने चैंकाया है और गम्भीर सवाल को जन्म दिया है. अतः सरकार इस तथ्य की जांच CBI,IB ,NIA से करवाए कि निर्भया के हत्यारे चारों बलात्कारियों के संरक्षक कौन लोग हैं, उनका एजेंडा क्या है…?  ज्ञात रहे कि पूरा देश इस तथ्य से भलीभांति परिचित है कि निर्भया के हत्यारे चारों बलात्कारी एक निजी बस के ड्राईवर कंडक्टर खलासी क्लीनर का काम करते थे। अतः उनकी अर्थिक पृष्ठभूमि/स्थिति का आंकलन आसानी से किया जा सकता है। पूरा देश इस कटु सत्य से भी भलीभांति परिचित हैं कि भारतीय अदालतों में मुकदमेबाजी कितनी महंगी है, विशेषकर जब यह मुकदमेबाजी हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचती है तो खर्च की सारी सीमाएं तोड़ देती है। यही कारण है कि पिछले कुछ महीनों से निर्भया के हत्यारे चारों बलात्कारियों के बचाव के लिए की जा रहीं अभूतपूर्व कोशिशों के कारण एक गम्भीर सवाल पिछले कई महीनों से मेरे मन को मथ रहा था। लेकिन उन घृणित हत्यारों के बचाव के लिए आज उठाए गए कदम ने तो मुझे बुरी तरह चैंकाया है। आज मैं तब स्तब्ध हो गया जब यह समाचार मैंने पढ़ा कि निर्भया के हत्यारे चारों बलात्कारियों की फांसी की सजा के खिलाफ इंटरनेशनल कोर्ट आफ जस्टिस में अपील की गई है तथा संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार आयोग में भी अपील की गई है। उल्लेखनीय है कि इंटरनेशनल कोर्ट आफ जस्टिस में मुकदमेबाजी का खर्च करोड़ों में होता है। इसे आप इस तथ्य से समझ सकते हैं कि… कुछ समय पूर्व कुलभूषण जाधव की फांसी की सजा के खिलाफ भारत ने इंटरनेशनल कोर्ट आफ जस्टिस में जब अपील की थी तो देशहित में हरीश साल्वे ने जाधव की फांसी रुकवाने का मुकदमा लड़ने के लिए केवल एक रुपये फीस ली थी किन्तु पाकिस्तान की तरफ केस लड़ने के लिए जो वकील खड़ा हुआ था उसने 6 करोड़ रुपये फीस ली थी। इंटरनेशनल कोर्ट आफ जस्टिस में वकीलों की फीस सामान्यतः करोड़ों में ही होती है. हालांकि यह शत प्रतिशत तय है कि चारों हत्यारों की अपील इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) में सुनी ही नहीं जाएगी लेकिन प्रश्न यह है कि वो कौन सी ताकतें हैं जो इन चारों हत्यारों को बचाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने के लिए तैयार हैं.? ऐसा करने के पीछे उनका उद्देश्य क्या है.? ध्यान रहे कि इंटरनेशनल कोर्ट आफ जस्टिस में आज अपील करने से पहले भी चारों हत्यारों के बचाव के लिए अब तक निचली अदालतों से लेकर देश की सर्वोच्च अदालत तक जिस तत्परता के साथ त्वरित और आक्रमक शैली में भीषण कानूनी लड़ाई लड़ी गई है, उस लड़ाई को लड़ने में जितना पैसा पानी की तरह बहाया गया होगा, उतना पैसा बहाना किसी निजी बस के ड्राईवर कंडक्टर खलासी क्लीनर के लिए असंभव है। चारों हत्यारों के वकील द्वारा आज दी गई यह दलील अत्यन्त हास्यास्पद और थोथी है कि हत्यारों के बचाव के लिए विदेशों में रह रहे कुछ भारतीय नागरिकों ने इंटरनेशनल कोर्ट आफ जस्टिस में अपील की है। क्या यह सम्भव है कि… एक निजी बस में ड्राईवर कंडक्टर खलासी क्लीनर का काम करने वाले घृणित अपराधियों के विदेशों में रह रहे करोड़पति भारतीयों से इतने सघन और प्रगाढ़ सम्बन्ध हों कि वो भारतीय इन हत्यारों के लिए करोड़ों रुपये फूंकने के लिए बेचैन हुए जा रहे हैं.? उपरोक्त पूरे घटनाक्रम से यह तो निश्चित है कि कुछ बहुत बड़ी शक्तियां इन हत्यारों के बचाव के लिए जमीन आसमान एक किए हैं। लेकिन इसके पीछे उन शक्तियों का उद्देश्य क्या है.? यह सवाल अत्यन्त रहस्यमय और गम्भीर भी है। अतः देशहित में यह आवश्यक है कि सरकार इस तथ्य की जांच CBI,IB ,NIA से करवाए कि निर्भया के हत्यारे चारों बलात्कारियों के संरक्षक कौन लोग हैं, उनका एजेंडा क्या है…? मुझे आश्चर्य होता है कि इतने गम्भीर तथ्य पर देश की मीडिया ने भी आजतक ना तो ध्यान दिया, ना ही कोई सवाल पूछा। यही नहीं उन हत्यारों के उस वकील की सम्पत्ति की भी जांच होना आवश्यक है चूंकि कहीं न कहीं वह भी संदेह के घेरे में है और सरकार को भी इसके लिए कड़े कदम उठाने होंगे वरना वह दिन दूर नहीं जब देश की जनता अपना उग्र रूप ले लेगी और उन चारों हत्यारों और उन्हें बचाने वालों का क्या हश्र होगा यह तो समय ही बताएगा।

उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी के नेता त्रिवेन्द्र सिंह रावत ( मुख्यमंत्री उत्तराखंड सरकार )

वरूण