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भारी वर्षा के कारण आड़ू पर मंडराया घातक रोग टफरीना का खतरा

राजगढ़ ( चौहान )-
लगातार हो रही बारिश ने राजगढ़ क्षेत्र में स्टोन फ्रूट उत्पादित करने वाले बागवानों की नींद उड़ा दी है जिससे विशेषकर आड़ू पर बेमौसमी वर्षा एवं आसमान पर बादल का मौसम रहने से टफरीना जैसे घातक रोग होने की संभावनाएं बढ़ गई है और बेमौसमी वर्षा होने से बागवान काफी चिंतित हैं। इसी प्रकार प्लम, खुमानी, बादाम पर इस समय फ्लावरिंग एवं सैटिंग चल रही है जिसके लिए लगातार वर्षा का होना, और तापमान का गिरने से पौधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। राजगढ़ क्षेत्र के प्रगतिशील बागवान शेरजंग चौहान, अर्जुन मेहता, देवराज मेहता, विक्रम ठाकुर सहित अनेक बागवानों ने बताया कि जिस प्रकार भारी वर्षा का क्रम पिछले दो माह से जारी है उससे बागवानी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। उन्होने बताया कि वर्तमान में जब कभी थोड़ी गर्मी पड़नी शुरू हो जाती है उससे जल्दी लगने वाले फलदार पौधों पर फूल आना आरंभ होने के साथ साथ सैटिंग प्रक्रिया आरंभ हो जाती है। मगर वर्षा होने से तापमान में गिरावट आ रही है और खिले हुए फूल व्यस्क हो कर फल में बदलने के स्थान पर सिकुड़ कर मर जाते हैं जिससे फल सैटिंग होने की संभावना बहुत कम रह जाती है। उन्होने बताया कि अरली वेरायटी के स्टोन फू्रट ही बाजार में सबसे पहले पहुंचते है। जोकि आरंभिक सीजन में लोगों को खाने के लिए उपलब्ध होते हैं। इन बागवानों का यह भी कहना हैं कि लगातार वर्षा का होना भी लेट वेरायटी की आड़ू फसल के लिए भी अच्छा संकेत नहीं है। ऐसी वर्षा आड़ू के घातक रोग ‘‘टफरीना‘‘ के लिए भी वातावरण तैयार करने में सहायक सिद्ध होती है। वास्तव में टफरीना रोग के लिए सिर्फ भारी वर्षा ही जिम्मेवार नहीं है बल्कि इसके लिए आसमान पर हमेशा आसमान पर बादलों का छाया रहना भी एक प्रमुख कारण है। क्या है टफरीना रोग -यह रोग आड़ू के पत्तों पर हमला बोलता है जिसके तहत पत्ता अपनी वास्तविक शक्ल को खो कर मोटा और आस्ट्रेलियन भेड़ों के कान की तरह लंबा हो जाता है। पत्ता हरा होने के स्थान पर सफेद हो जाता है। ऐसे में यदि उन पत्तों पर फफूंद का असर भी हो जाता है जिससे पत्ता अधिक मोटा और खुरदरा हो जाता है। उद्यान विभाग राजगढ़ में प्रभारी एवं एसएमएस उजागरसिंह तोमर ने बताया कि टफरीना की रोकथाम के लिए समय रहते ही छिड़काव करने आवश्यक होते हैं। आड़ू में पतझड़ के बाद एवं पिंक बड स्टेज से पहले एवं बाद में कॉप्पर ओक्सी क्लोराईड एवं वेटेबल सल्फर का छिड़काव करें।

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