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फरीदकोट में छलकी जिला सिरमौर की हाटी संस्कृति

रIजगढ ( चौहान )
सिरमौर के कलाकारों द्वारा गत दिवस पंजाब के फरीदकोट में आयोजित बाबा शेख फरीद आगमन पर्व पर आयोजित बहुरंगी कलाओं के उत्सव पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करके सिरमौर की हाटी संस्कृति की एक अमित छाप छोड़ी है । उल्लेखनीय है कि संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सौजन्य से उत्तर क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र पटियाला द्वारा राजगढ़ के दूरदराज गांव जालग के आसरा सांस्कृतिक दल को फरीदकोट में बाबा शेख फरीद आगमन पर्व पर 18 से 28 सितंबर चल रहे कार्यंक्रम के लिए प्रायोजित किया गया है । सिरमौर के इस दल द्वारा देश के विभिन्न राज्यों और विश्व के अनेक देशों में जाकर सिरमौर संस्—ति का प्रदर्शन करके प्रदेश की समृद्ध संस्कृति का मान बढ़ाया है । आसरा संस्था के प्रभारी गोपाल हाब्बी ने बताया कि पंजाब के फरीदकोट में इन दिनों भारतवर्ष के अनेक राज्यों से आमंत्रित विभिन्न राज्य के अग्रणी सांस्कृतिक दलों में हिमाचल का प्रतिनिधित्व कर रहे आसरा संस्था के लोक कलाकारों के अलावा उड़ीसा का गोटीपुआ नृत्य, जम्मू का पान्दरा नृत्य, मणिपुर का पुंगचोलम, मध्य प्रदेश का बधाई, गुजरात का सिद्ध धमाल, झारखंड का पुरुलिया छाऊ, हरियाणा का फाग, आसाम का बिहू, पंजाब का झूमर आदि लोक नृत्य की प्रस्तुतियां दी जा रही है। उन्होने कहा कि आसरा संस्था के कलाकार जिला सिरमौर की पारंपरिक लोक नृत्यों की प्रस्तुति देकर अलग पहचान बनाए हुए हैं। आसरा संस्था द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान मुख्य सलाहकार विद्यानंद सरैक व गुरू जोगेंद्र हाब्बी के निर्देशन में कला संस्—ति विकास योजना के अंतर्गत वार्षिक प्रशिक्षण कार्यक्रम में तैयार की गई लोक नृत्य की आकर्षक लोक लुभावनी विधाओं का लोक कलाकार बाबा शेख फरीद आगमन पर्व में झूम झूम कर प्रदर्शन कर रहे हैं। जोगेंद्र हाब्बी के नेतृत्व में आसरा के लोक कलाकारों ने भगवान कृष्ण के सुदर्शन चक्र से सम्बन्धित परात नृत्य व देवपूजा से संबंध रखने वाले दीपक नृत्य तथा बरसात का रिहाल्टी नृत्य के साथ बूढ़ी दिवाली का हारूल नृत्य की प्रस्तुति दी गई। जिसका पंजाब के लोगों द्वारा भरपूर मनोरंजन किया गया। बाबा शेख फरीद मेला में प्रस्तुतियों के दौरान लोक गायक रामलाल, गोपाल तथा लक्ष्मी की मधुर स्वर लहरियों ने जनमानस की खूब वाहवाही लूटी वहीं मनमोहन, चमन, अमीचंद, जोगेंद्र के परात नृत्य व सरोज, रंजना, लक्ष्मी, अनुजा के दीपक नृत्य ने, संदीप व रमेश की ढोल और मुकेश व सुरेंद्र की करनाल व रणसिंघा की ध्वनि की ऊंची गूंज दर्शकों की खूब तालियां बटोर कर सिरमौरी हाटी संस्कृति का मान बढ़ाया है।

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