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मंदी की मार सब से अधिक रियल स्टेट पर

रियल स्टेट को सबसे अधिक मुनाफे का सौदा माना जाता था और रियल स्टेट के माध्यम से कई कम्पनियां दिन-दूनी रात-चौगुनी तरक्की पाने में भी कामयाब रही लेकिन इस समय मंदी की मार से सबसे अधिक असर रियल स्टेट पर पड़ा है।देश का रियल स्टेट सेक्टर अधर में है।मांग में भारी कमी के चलते देश के आठ बड़े महा नगरों में 4 लाख 50 हजार से अधिक भवन बिना बिके पड़े हैं।इन भवनों का कायाकल्प भी कैसे होगा यह भी एक विचारणीय प्रश्न है।नीति आयोग के फरवरी के अनुमान के अनुसार 1.3 लाख करोड़ रूपये के कारोबार वाला देश का रियल स्टेट सेक्टर दशक की सबसे बड़ी मंदी की चपेट में है।आठ प्रमुख शहरों मुम्बई, एनसीआर, बैगलूर, चेन्नई, हैदराबाद, अहमदाबाद और कलकत्ता में बिना बिके घरों की संख्या इस वर्ष की पहली छमाहीमें 4 लाख 50 हजार की संख्या तक पहुॅंच चुकी है।रियल स्टेट पर मंदी की सबसे अधिक मार पड़ने का कारण यह है कि नोटबंदी के बाद जहॉं लोगों में भय व्याप्त है वहीं आर्थिक सुधारों के चलते रियल स्टेट में कालाधन खपाना मुश्किल हो गया और अब रियल स्टेट में भी सफेद धन ही लगना शुरू हो गया है और घर खरीदने वाले बाजार अनुकुल होने की प्रतीक्षा में बैठे रहे।निवेश करने के मकसद से घर खरीदने वाले लोगों ने इसे घाटे का सौदा मानकर घर खरीदने से हाथ पीछे खींच लिए।
मंदी के कारणों की पहचान करना मुश्किल नहीं है क्योंकि नौकरियां लगातार घट रही हैं और वेतन में कोई बढ़ोतरी नहीं हो रही है तो घरों की मांग में गिरावट आना स्वाभाविक ही है।रियल स्टेट उद्योग में कीमतें बहुत अधिक थी।उसी के फल स्वरूप रियल स्टेट निरन्तर खतरे का सामना कर रहा है।काले धन को रियल स्टेट में ही अब तक खपाया जाता रहा है लेकिन अब सरकार के सख्त रवैये के कारण लोग रियल स्टेट में अपना धन नहीं लगा पा रहे हैं।जिससे रियल स्टेट बहुत कठिन दौर से गुजर रहा है।हाल ही में आम्रपाली और युनिटैक जैसी बड़ी हाउसिंग फर्म भीपरेशानी में हैं और इसीलिए उच्चतम न्यायालय ने इनकी अधूरी निर्माण परियोजनाओं को पूरा करने के लिए सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र की हाउसिंग फर्म एनबीसीसी को निर्देश दिया है।जबकि खरीदारों को अब भी घर मिलने की कोई उम्मीद दिखाई नहीं दे रही है क्योंकि एनबीसीसी के पास भी नकदी की भारी कमी है।
इसमें तो दोराय नहीं की मंदी के कारण आवासीय संपत्ति की कीमतें गिरनी शुरू हो गई हैं लेकिन वह इस स्तर तक भी नहीं गिरी कि खरीदारोंमें घर खरीदने के लिए उत्साह दिखाई देने लगे। देर आय ददुरूस्त आयद, कहावत को चरितार्थ करते हुए सरकार ने इस सेक्टर को मदद देने के लिए अवश्य ही कदम उठाए हैं।सरकार ने इसी माह की 14 तारीख को देश में रूकी हुई सस्ती और मध्यम आए वाली आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने के लिए एक विशेष कोष बनाने की घोषणा की है लेकिन इससे भी मामला सुधरेगा इसमें संदेह दिखाई दे रहा है।

वरूण

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