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न्यायमूर्ति चंद्रभूषण बरवालिया ने शिरगुल देवता के प्राचीन मंदिर शाया में शीश नवाया

राजगढ़ ( चौहान )
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाघीश, न्यायमूर्ति चंद्रभूषण बरवालिया ने परिवार सहित राजगढ़ के समीप शाया में स्थित शिरगुल देवता के प्राचीन मंदिर शीश नवाया और शिरगुल देवता का आर्शिवाद प्राप्त किया । शिरगुल मंदिर में दर्शन के उपरांत न्यायमूर्ति बरवालिआ ने साथ लगती चिंतनस्थली को भी देखा और स्थानीय लोगों के साथ मंदिर की पृष्ठभूमि बारे जानकारी हासिल की । शिजस्वी समिति के अध्यक्ष अमरसिंह ठाकुर ने न्यायमूर्ति बरवालिया को जानकारी देते हुए बताया कि शिरगुल देवता को शिवांश अवतार माना जाता है और करीब 800 वर्ष पहले शिरगुल देवता का प्रादुर्भाव इसी शाया गांव में हुआ था। राक्षसों के साथ युद्ध करके चूड़धार को मुक्त करवा कर नौतबीन में अपने राज्य को सुरक्षित कर विस्तार किया। उन्होने बताया कि शिरगुल के अन्य दो भाई बिजिट और चंद्रेश्वर, हैं और इन तीनों देवताओं के मंदिर सिरमौर, शिमला, और सोलन जिलों में आस्था के प्रमुख केंद्र बने हुए हैं। उन्होने बताया कि 2013 के देवठण के रोज इस मूल मंदिर में आग लग गई थी जिसके पुनर्निर्माण के तहत वैकल्पिक मंदिर बन चुका है जिसमें श्रद्धIलु दर्शनार्थ आते रहते हैं। मूल मंदिर बनाने के लिए भी लगभग सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। न्यायमूर्ति बरवालिया ने मंदिर के बारे जानकारी हासिल करने के उपरांत कहा कि ऐसे कार्यों में संघर्ष तो करना ही पड़ता है परन्तु सफलता के बाद आनंद भी कुछ और ही होता है। इस मौके पर उनके साथ अरूण ठाकुर, राकेश कुमार, अरूण शर्मा तथा वकील प्रीतम ठाकुर भी साथ थे। न्यायमूर्ति चंद्रभूषण बरवालिया द्वारा अपने प्रवास के दौरान शनिवार को राजगढ़ के सब जज कोर्ट का भी निरीक्षण किया गया।

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