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पांवटा की स्वच्छता राम भरोसे

पांवटा ( रमौल )
आवारा कुत्तों तथा अन्य पालतू पशुओं की बढ़ती हुई संख्या व भोजन की तलाश में उनके आवारा घूमने से शहरों में होने वाली परेशानी अब गांव तक जा पंहुची है। जिसमें पशुओं के मरने के उपरांत लावारिस मानते हुए शहरों मे तो नगरपालिका उनको ठिकाने लगा देती है, परन्तु गांव में इस कार्य के लिए कोई आगे नहीं आता। सूत्रों का कहना है कि गत शुक्रवार को पांवटा नगर में उपायुक्त तथा जिला पुलिस अधीक्षक की देखरेख में स्वच्छता अभियान जोर शोर से चलाया गया, जिसमें स्थानीय समाजसेवी संस्थाओं व स्कूल के विद्यार्थियों ने भारी संख्या में भाग लिया। यह संदेश ग्रामीण क्षेत्रों तक भी पंहुचना चाहिए था परन्तु इस के विपरीत गिरिपार स्थित गांव धिघाली में गलियों तथा नालियों की सफाई तो दूर की बात, पिछले चार पांच दिन से दो कुत्ते, न जाने किन कारणों से मरे पडे हैं, परन्तु इस ओर किसी भी जिम्मेवार सदस्य ने ध् यान तक नहीं दिया। पूरे गांव में दुर्गन्ध का आलम है व लोगों का चलना फिरना, यहां तक की घरों मे रहना भी कठिन हो गया हे। ग्राम पंचायत प्रधान तथा सचिव से समस्या का समाधान करने हेतु बार-बार कहा गया, परन्तु कोई कार्यवाही नहीं की गई। गांव में घूमने वाले दो-तीन और कुत्तों की हालत दयनीय है, जो किसी भी समय मौत का ग्रास बन सकते हैं। कुत्तों के इस प्रकार अचानक प्राण त्याग देने से किसी संक्रामक रोग के होने की भी आशंका जताई जा रही है। बिगड़ती हुई दशा के दृष्टिगत मामले की जांच करवाने की आवश्यकता है ताकि पता चल सके कि कुत्ते किसी संकामक रोग से ग्रसित तो नहीं हैं। सरकार से मांग की गई कि संबधित एजेन्सी के माध्यम से मामले की जांच करवाने के साथ मरे हुए कुत्तों को ठिकाने लगाने की भी उचित व्यवस्था करवाई जाए ताकि गांववासियों की परेशानी और न बढ़ सके। पांवटा के उपमडल अधिकारी एलआर वर्मा ने बतलाया कि गांव के विकास एवम गांववासियों को ग्रामीण स्तर पर सुख सुविधा उपलब्ध करवाना केवल और केवल संबधित ग्राम पंचायत का दायित्व होता है।

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