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संसद में गुंजा गिरीपार का मुद्दा

शिमला ( ब्यूरो )
जिला सिरमौर के गिरिपार की लगभग पौने तीन लाख की आबादी को जनजातीय दर्जा देने का मुद्दा संसद में गूंजा है। शिमला संसदीय क्षेत्र के सांसद सुरेश कश्यप ने सिरमौर की वर्षों से लंबित चल रही इस मांग को सदन में उठाकर अपना पक्ष रखा। तीखे शब्दों में कहा कि उत्तराखंड का जोनसार-बाबर 1967 में जनजातीय क्षेत्र घोषित हो चुका है, जबकि सिरमौर का गिरिपार अभी भी इसके लिए संघर्ष कर रहा है। रियासत काल में यह दोनों एक ही रियासत के हिस्से थे। गौरतलब है सिरमौर जिले के गिरिपार की 127 पंचायतों की लगभग पौने तीन लाख की आबादी को जनजातीय दर्जा का मामला वर्षों से लंबित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मनमोहन सिंह से भी केंद्रीय हाटी समिति यह मामला उठा चुकी है। पूर्व सरकार के कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के अलावा आरजीआई तक भी यह मामला पहुंचा। अब फिर संसद में इस मुद्दे को लेकर आवाज बुलंद हुई है। लोकसभा सांसद सुरेश कश्यप ने अपना पक्ष रखते हुए सदन में कहा कि उत्तराखंड का जोनसार-बाबर और सिरमौर का गिरिपार कभी एक ही रियासत थी। जोनसार-बाबर और गिरिपार का रहन-सहन, खान-पान, संस्कृति आदि एक समान है। भौगोलिक स्थिति भी एक जैसी ही है। एक भाई जोनसार-बाबर गया तो एक भाई गिरिपार में है। एक भाई जनजातीय घोषित हुआ है तो दूसरा नहीं। उन्होंने कहा कि उनके राज्य के इस क्षेत्र की लगभग पौने तीन लाख की आबादी जनजातीय दर्जे के लिए तरस रही है। सुरेश कश्यप ने सोशल मीडिया पर भी इस वक्तव्य को शेयर किया है।

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