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फौजी पिता के इंजीनियर पुत्र उमेश कुमार

मूलरूप से ग्वालियर के रहने वाले तथा वर्तमान में अपने छोटे बेटे के साथ सेलाकुंई में रह रहे उमेश ने अपने जीवन के महत्वपूर्ण हिमाचल प्रदेश के पांवटा साहिब स्थित मशहूर मॉलवा कॉटन नामक स्पिनिंग मील में बतौर चीफ इंजीनियर तथा मुख्य अभियन्ता व महाप्रबन्धक के पद पर कार्यरत रहे। इनका जन्म 17/8/1945 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुआ। इनकी माता स्व. श्रीमती अंजली लाल तथा पिता कर्नल आई0 लाल थे। इनके दो भाई ललित कुमार व अनिल कुमार हैं। ललित का 3 साल पहले स्वर्गवास हो गया है तथा अनिल सेवानिवृत्त इंजीनियर हैं। इनकी दो बहनें उमा व लता है। उमा जबलपुर में अपने आईपीएस पति के साथ रहती हैं। तथा लता ग्वालियर में अपने बेटे के पास रहती है। दोनों अपना -अपना वैवाहिक जीवन सुखपूर्वक बिता रही हैं। उमेश की शिक्षा किंग जॉर्ज मिलिट्री स्कूल चायल से शुरू हुई।ग्वालियर के प्रसिद्ध माधव राव इंजीनियरिंग कॉलेज से इन्होंने 1967 में इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त करने के बाद तुरन्त नौकरी शुरू कर दी। प्रथम तैनाती जियाजी कॉटन मिल्स सिंथेटिक डिविज़न ग्वालियर में शुरू की और 13 साल तक वहॉं काम किया। उसके बाद भीलवाड़ा ग्रुप में चले गये और वहॉ भी आठ साल काम किया। 1992 में हिमाचल प्रदेश के पांवटा साहिब में मॉलवा गु्रप में बतौर मुख्य अभियन्ता अपनी सेवाएं देनी शुरू की और 1996 में पदोन्नत होकर महाप्रबन्धक पद पर पहुॅंचे। वर्ष 2002 में यहॉं से सेवानिवृत्त हुए और फूड प्रोसेसिंग स्लोटर हाउस दासना में कार्यरत रहे और 2004 में वहॉं कम्पनी के वाईस प्रेजीडेंट बनाए गए। वर्ष 2004 में के.के. बिरला के कम्पोजिट टैक्सटाईल मील मिलाडवासी में वर्ष 2008 तक कार्यरत रहे। उसके बाद कुछ दिन अपना निजी कार्य भी किया और वर्ष 2014 से 2017 तक आर.एस.पी.एल ग्रुप इन्दौर में विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे। वर्ष 2017 के बाद से सेवानिवृत्ति का आनन्द ले रहे हैं। अपने बचपन के मित्रों में यह शरद शुक्ला, जो रविशंकर शुक्ला के भतीजे हैं को मानते हैं वहीं व्यापारिक मित्रों में ज्ञानचंद गोयल व अरविन्द गोयल को अपना मित्र मानते हैं। इन्हें अपनी नौकरी के दौरान सबसे अधिक आनन्द आरएसपीएल ग्रुप इन्दौर में नौकरी करने के दौरान आया। अपने अच्छे अधिकारियों में एमडी भीलवाडा ग्रुप के ओम प्रकाश रूपरूसका जी तथा आरएसपीएल के मालिक मुरलीधर ज्ञान चन्दानी सीएमडी के साथ-साथ कैलाश आजाद वी पी के साथ भी इनके काफी घनिष्ट सम्बन्ध रहे हैं। जिन मातहतों ने इन्हें सबसे अधिक प्रभावित किया उनमें यह ललित मेहता जो इन्दौर आरएसपीएल में प्लांट मैनेजर थे तथा चालक दुर्गेश पवांर तथा जे.के.झा मैनेजर आर.एसपीएल को पसन्द करते हैं। इनका विवाह 23 मई 1973 को शरली कुमार से हुआ जो उच्च स्नातक तक शिक्षित हैं तथा जिनके पिता एक निजी संस्थान में उच्च अधिकारी थे। जिनसे इनके जीवन बहार में अंशुमन और प्रशांत आए। दोनों अपना- अपना वैवाहिक जीवन सुखपूर्वक बिता रहे हैं। इनके अपनी पत्नी से काफी मधुर सम्बन्ध हैं तथा अपने जीवन में सबसे अधिक दुःख इन्हें अपनी माता जी व छोटे भाई की मृत्यु पर हुआ था। अपने जीवन में सबसे सुखद दिन बड़े बेटे अंशुमन के जन्म वाले दिन को मानते हैं। खेलों में उमेश को हॉंकी खेलना काफी पसन्द है जिसे इन्होंने कॉलेज समय में खूब खेला है। खिलाड़ियों में कपिल देव को पसन्द करते हैं। राजनीतिज्ञों में इनकी पसन्द इन्दिरा गांधी रही हैं। अभिनेताओं में धर्मेन्द्र व देवानन्द को पसन्द करते हैं तथा अभिनेत्रियों में वहीदा रहमान के दीवाने हैं। इन्हें ”चॉंद खिला तारे हंसे, रात अजब मतवाली हैं समझने वाले समझ गये जो न समझे वो अनाड़ी है…..” गीत इन्हें काफी पसन्द है तथा फिल्मों में मुगलेआज़म फिल्म इन्हें अच्छी लगी। अपने बचपन की शरारतों को ताजा करते हुए उमेश कहते हैं कि पिता जी से कई बार पिटाई हुई चूंकि कभी-कभी स्कूल कॉलेज से बंक कर जाते थे। पिटाई भी डंडो से होती थी। इन्हें सबसे अधिक प्यार अपनी मॉं से मिला और स्वयं यह अपने पूरे परिवार से सबसे अधिक प्यार करते हैं। और पोती वान्या जो 4 साल की है वह इन्हें सबसे अधिक प्रिय है। खाने में इन्हें सबसे अधिक पसन्द मांसाहारी व्यंजन पसन्द हैं तथा मीठे में देसी घी से बनी जलेबी काफी प्रिय है। उम्र के इस पड़ाव में भी उमेश अपनी उम्र से काफी छोटे दिखते हैं और पूरी तरह जागरूक रहकर जहॉं अपने पुत्रों को दिशा निर्देश देते हैं वहीं अपने पूरे परिवार के साथ अपनी रिटायर्ड जिन्दगी एक आदर्श रूप में व्यतीत कर रहे हैं।

बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले….

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