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आपदाओं और मानसिक-स्वास्थ्य पर तीन-दिवसीय कार्यशाला का समापन

हिमवंती मीडिया/धर्मशाला
उपायुक्त कार्यालय के सभागार में दिनांक 26 से 28 अप्रैल तक जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, कांगड़ा और हिमाचल प्रदेश में कार्यरत स्वैच्छिक संस्था ‘डूअर्स’ के संयुक्त प्रयासों से ‘मानसिक स्वास्थ्य व मनो-सामाजिक सहयोग’ विषय पर आयोजित की जा रही तीन-दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन अतिरिक्त दंडाधिकारी, कांगड़ा रोहित राठौर की अध्यक्षता में हुआ। कार्यशाला के समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए अतिरिक्त दंडाधिकारी ने कहा कि आपदाओं से जितना अधिक नुकसान शारीरिक स्वास्थ्य पर होता है, उससे कहीं ज़्यादा और दूरगामी प्रभाव लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है लेकिन समाज में उन प्रभावों को पहचानने के लिए ज़रूरी जागरूकता और समझ की बहुत कमी है। कोविड-19 महामारी से भी हमने यही देखा कि अस्पताल में तो लोग पीड़ित थे ही, परंतु समाज में लगभग हर व्यक्ति मानसिक तनाव से गुज़र रहा था। इसलिए इस विषय पर क्षमता वृद्धि और जागरूकता प्रसार की बहुत अधिक आवश्यकता है। इसीलिए यह बेहद जरूरी है कि इस सभी प्रतिभागी इस कार्यशाला में प्रदान किए गए ज्ञान को आपदाओं से प्रभावित लोगों की सहायता करने और उनके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए उपयोग करें।
कार्यशाला में विषय विशेषज्ञ अनुराधा ने खेल-खेल के जरिए प्रतिभागियों को सिखाया कि आपदाओं से प्रभावित व्यक्तियों को किस प्रकार से मनोसामाजिक सहयोग दिया जा सकता है और कैसे उनके मानसिक स्थिति को बिगड़ने से रोका जा सकता है। डूअर्स के कार्यक्रम निदेशक और इस कार्यशाला के सह-प्रशिक्षक नवनीत यादव ने प्रतिभागियों को आपदाओं के जोखिम और मानसिक स्वास्थ्य के बीच के सम्बन्ध को समझाते हुए कहा कि समुदाय पर आपदाओं के जोखिम को कम करने के लिए उनके साथ उचित बातचीत व सही व्यवहार करना और उनकी परिस्थियों और मनोदशा को समझने के साथ-साथ इंटरनेट से प्राप्त जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता को जाँचना और गलत सूचनाओं के प्रसार को रोकना भी बहुत ज़रूरी है।

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