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आरटीआई एक्ट हो गया है बेमानी, आरटीआई एक्टिविस्ट हताश व परेशान, भ्रष्टाचार में छोटे बड़े सभी अधिकारी सम्मिलित

विद्युत विभाग का सोलन सर्कल का 2008 का मामला आया सामने

हिमवंती मीडिया/पांवटा साहिब

प्रदेश के जाने -माने आरटीआई कार्यकर्ता चतर सिंह भ्रष्टाचार के मामले उजागर करते आ रहे हैं। इसके लिए उन्हें असामाजिक तत्वों से जान से मारने की धमकियां भी मिलती रहती है। लेकिन जान की परवाह किए बिना वह भ्रष्टाचार के विरुद्ध अपनी लड़ाई जारी रखे हुए हैं।

दस्तावेजों के साथ उन्होंने हम से संपर्क साधा तो पता चला कि वर्ष 2008 में सोलन के विद्युत सर्कल में कुछ रोड क्रॉसिंग के लिए एसडीएलटी निर्माण के लिए जीआई वायर तथा गार्डिंग वायर खरीदा गया। जिसमें गलत तरीके से ठेकेदार को करोड़ों का भुगतान भी कर दिया गया। यह कार्यकर्ता 17 दिसंबर 2021 को आरटीआई के तहत अधीक्षण अभियंता सर्कल एचपीएसईबी सोलन से इस बाबत आरटीआई के द्वारा कुछ जानकारी मांगी थी, जिससे इस भ्रष्टाचार का पूरी तरह पर्दाफाश होना था। लेकिन इस अधिकारी ने भी अपने पूर्व के अधिकारियों को बचाने के बदनीयती से आरटीआई में कोई जानकारी नहीं दी।

थक हार कर यह आरटीआई कार्यकर्ता अपील में 31 जनवरी 2022 को अपील की, इस अपील पर कार्यवाही ना करके मुख्य अभियंता ने भी मामले को टाल मटोल कर दोबारा से अधीक्षण अभियंता के कार्यालय को अपने पत्र संख्या HC-II/WS-4/RTI Act-2005/2021-22, 10465-67 दिनांक 28 दिसंबर 2021 को पुनः अधीक्षण अभियंता सोलन को भेज दिए। लेकिन आज तक भी आरटीआई कार्यकर्ता चतर सिंह को वह जानकारी नहीं मिल सकी। वास्तव में यह जानकारी बड़ी गंभीर है, और इसमें करोड़ों रुपए का सरकार को चूना लगाया गया है ।तथा ठेकेदार और अधिकारी भी इस बंदरबांट में सम्मिलित हैं। मोदी सरकार के चहेते द्वारा हिमाचल सरकार में भी इमानदारी का डंका खूब पीट रहा है।

हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी ईमानदारी के लिए विख्यात है। लेकिन उन्हीं की सरकार व विद्युत विभाग के महकमे में भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारी किस तरह अपने सहयोगियों को बचाने में लगे हुए हैं। इसका ताजा उदाहरण यही है ,कि 3 महीने से अधिक होने के बावजूद सूचना इसलिए नहीं दी जा रही है कि इसमें करोड़ों का घपला है। सूत्र यह भी बताते है की सरकार द्वारा किए गए ऑडिट में यह घपला प्रकाश में आ चुका है, लेकिन इस मामले को 14 साल तक क्यों और किसने दबा कर रखा यह भी जांच का विषय है। हिमाचल सरकार से हमारा भी आग्रह है कि वह सरकार द्वारा भारत की संसद द्वारा जो आरटीआई एक्ट के तहत किसी भी व्यक्ति को सूचना प्राप्त करने का अधिकार है उस पर परिताना लगाया जाए, और अधिकारियों को सचेत किया जाए कि वह तुरंत भ्रष्टाचार के मामले को उजागर करें,और समय पर जनसूचना उपलब्ध कराएं।

आरटीआई कार्यकर्ताओं को हतोतत्साहित ना करें। सवाल उठता है कि क्या जयराम सरकार और साफ छवि के ऊर्जा मंत्री चौधरी सुखराम 2008 में हुए करोड़ों के घपले को सामने ला पाएंगे? और भ्रष्टाचारियों को उनका सही स्थान दिला पाएंगे, या फिर यही मामला ज्यों का त्यों रहेगा और भ्रष्टाचारी फलते फूलते रहेंगे।

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