in

एसएफआई हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई ने कैंपस के अंदर काली पट्टी मुंह पर बांधकर किया धरना प्रदर्शन

शिमला(प्रेवि):- एसएफआई विश्वविद्यालय इकाई ने विश्वविद्यालय की तमाम छात्र मांगों को लेकर विश्वविद्यालय परिसर के अंदर काली पट्टी मुंह पर बाँध कर मौन धरना प्रदर्शन किया। कैंपस सह सचिव रॉकी ने प्रशासन पर आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय प्रशासन पूरी तरह से छात्रों की मांगों को अनदेखा और अनसुना कर रहा है और कैंपस के अंदर मनमाने तरीके से एक अघोषित आपातकाल लागू कर चुका है। धरने को संबोधित करते हुए एसएफआई सचिवालय सदस्य सुदेश ने बताया कि विश्वविद्यालय को न खोलना एक सुनियोजित तरीके से अपनी गलतियों को छुपाने का पैंतरा है। प्रशासन जानता है जब जब छात्र एकजुट होकर प्रशासन के खिलाफ लड़ा है प्रशासन को हमेशा अपने छात्र विरोधी फैसलों के लिए मुंह की खानी पड़ी है।

करण कपूर ने धरने को संबोधित करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रावास में छात्रों को रहने की व्यवस्था प्रदान नहीं कर रहा है, जिस वजह से मजबूरन छात्रों को शिमला में महंगे कमरे लेकर रहना पड़ रहा है और जिस वजह से छात्र बुरी तरह से आर्थिक रूप से प्रताड़ित हो रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन ऑनलाइन शिक्षा के नाम पर एक भद्दा मजाक छात्रों के साथ कर रहा है। क्योंकि हिमाचल की भौगोलिक परिस्थिति यहां पर रहने वाले लोगों की आर्थिक स्थिति इतनी समृद्ध नहीं है कि वह महंगे फोन महंगे रिचार्ज आदि का खर्चा उठा सकें। एसएफआई ने मांग रखी कि जल्द से जल्द विश्वविद्यालय तथा छात्रावासों को आम छात्रों के लिए खोला जाए। अगर प्रशासन अभी भी बेपरवाह इन मांगों को लेकर रहता है तो एक उग्र आंदोलन कैंपस के अंदर लड़ा जाएगा।

एसएफआई ने मांग रखी कि हिमाचल प्रदेश का बजट सत्र शुरू होने जा रहा है तो कम से कम राज्य बजट का 30% शिक्षा पर खर्च किया जाए । विदित है विश्वविद्यालय ने प्रदेश सरकार से 235 करोड के ग्रांट मांगी थी, लेकिन सरकार से सिर्फ 110 करोड मिला था। इस बार एसएफआई ने यह मांग उठाई कि राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के खिलाफ बेरुखी न बरतते हुए अच्छे बजट का प्रावधान करेगी अगर ऐसा करने में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय व प्रदेश सरकार विफल रहती है तो आने वाले समय मे कैंपस के अंदर और तीखा आंदोलन किया जाएगा।

शीघ्र अति शीघ्र स्थाई परिसर का किया जाए निर्माण : एबीवीपी

एडीसी ने की राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के कार्यों की समीक्षा