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शमशान जागृत करने की अपने दादा की विरासत को बखूबी निभा रहें हैं रणवीर

 

 राजगढ़(चौहान):-  सूचना प्रौद्योगिकी एवं अत्याधुनिक चिकित्सा विज्ञान के युग में यदि मृत व्यक्ति अथवा पितरों से सीधा संवाद करने की चर्चा की जाए तो यह लोगों में अंधविश्वास एवं रूढ़िवादिता का हास्यप्रद विषय बन जाता है।  ज्योतिष शास्त्र में भी पितृ दोष का विशेष उल्लेख किया गया है,जिसके निवारण के लिए ज्योतिष शास्त्र में अनेक उपाय सुझाए गए है, परंतु  इस दोष निवारण का सटीक उपाय केवल शमशान जगाने का कार्य करने वाले तांत्रिक से ही संभव है। बता दें कि सिरमौर जिला की पझौता घाटी में 35 वर्षीय युवक रणवीर कश्यप उर्फ टिटू पिछले 11 वर्षों से अपने दादा भादर सिंह की शमशान जागृत करने की परंपरा को बखूबी निभा रहें हैं । रणवीर कश्यप समूचे क्षेत्र में टिटू के नाम से प्रसिद्ध हैं । इन्होने स्नातकोत्तर डिग्री कॉलेज सोलन से बीए तथा पांवटा में शारीरिक शिक्षा में सीपीएड की है ।  इनका कहना है कि उन्होने 16 वर्ष की आयु में अपने दादा भादर सिंह के सान्निध्य  में रहकर शमशान की कठोर साधना की  थी । तदोंपरांत वह शिक्षा ग्रहण के लिए बाहर चले गए थें। परंतु 22 वर्ष की आयु में उन्होने अपने दादा के साथ शमशान जगाने का कार्य आरंभ कर दिया था ।

गौर रहे कि वर्तमान आधुनिक एवं वैज्ञानिक युग में भी अनेक लोग पितृ दोष से पीड़ित हैं ।  चिकित्सा विज्ञान की अत्याधुनिकतम स्वास्थ्य सेवा से जब पीड़ित व्यक्ति का उपचार संभव नहीं हो पाता है । उस स्थिति में लोग तांत्रिक की शरण में जाते हैं, जहां पर लोग अपनेे मृत पूर्वजों से सीधा संवाद करके पितृ दोष की समस्या का हल करवाते हैं, जिसमें शिक्षित एवं बुद्धिजीवी वर्ग की संख्या सर्वाधिक होती है।

रणवीर का कहना है कि मृत व्यक्तियों से रू-ब-रू साक्षात्कार करवाना बहुत कठिन कार्य है और यह अपने आप में एक अनूठी कला भी  है। इनका कहना है कि जब संबंधित पीड़ित व्यक्ति अपने मृतक परिजनों से रू-ब-रू होते हैं, उस समय जो  उनके मन को राहत मिलती है उसका उल्लेख नहीं किया सकता है।  इनके दादा भादर सिंह की शमशान जागृत करने की महारत की वजह से असंख्य लोग हिमाचल के अतिरिक्त लोग हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़ इत्यादि क्षेत्रों से अपनी गाड़ियों में भादर सिंह ढूढंते हुए धामला  पहुंचते हैं। भादर सिंह का तीन वर्ष पहले देहान्त हो चुका है और अब उनकी गददी को रणवीर उर्फ टिटू संभाल रहे हैं । इनका कहना है कि भादर सिंह द्वारा भी 20 वर्ष की उमर से शमशान जगाने का कार्य आंरभ किया था और 94 वर्ष की आयु तक यह कार्य करते रहे ।

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