हिमवंती मीडिया/शिलाई
बीते साढ़े चार वर्षों में शिलाई विधानसभा क्षेत्र में विकास की चाल को देखा जाए तो बलदेव सिंह तोमर ने विकास की एक नई दिवार बना दी है। यूँ मानों की इन साढ़े चार वर्षों को शिलाई के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी और जिसमें बलदेव सिंह तोमर की अहम भूमिका रही है। आज तक जितनी भी घोषणाएं गत साढ़े चार वर्षों में हुई है, वह लगभग पूरी हो चुकी है। सम्पूर्ण हिमाचल में शायद ही किसी विधानसभा में इतना विकास हुआ होगा।
बात उनके सरलता की कि जाए तो छोटा बच्चा भी स्वयं उनसे बात करके अपनी बात रख सकता है और उचित माँग को पुरा करा सकता है। विधानसभा का कोई भी ऐसा क्षेत्र या गाँव नहीं होगा जहाँ पर बलदेव तोमर ने लोगों की समस्याओं को हल न किया हो। बलदेव सिंह तोमर न केवल क्षेत्रवासियों, युवकों बल्कि बच्चों के भी दिलों की धड़कन बन चुके है।हाटी मुद्दा हाटियों का पिछले 5 दशकों से ज़्यादा पुराना है जिसका आज तक कोई हल नहीं निकल रहा था तो उसका समाधान भी इसी शिलाई के बेटे बलदेव सिंह तोमर ने बाज़ी को हारने के बाद किया है। वह लगातार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व शिमला विधानसभा के सांसद सुरेश कश्यप के साथ दिल्ली जाकर केंद्र सरकार के समक्ष माँग रखते रहे। अनेकों दफ़ा असफलता हाथ लगने के बाद भी हार नहीं मानी और फिर से कोशिशों में जुट जाते थे। तो अंत में उनके प्रयासों ने रंग दिखाने शुरू कर दिए थे। क्यूँकि केंद्र सरकार ने हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने के लिए प्राथमिकता दे दी थी जिससे गिरिपार क्षेत्र की 154 पंचायतों की क़रीब 3 लाख जनसंख्या लाभान्वित होगी। विकास की इस कड़ी को मद्देनज़र रखते हुए बाहरी विधानसभा की जनता का कहना है कि यदि जनजातीय दर्जा मिलने के बाद भी लोगों का एक भी वोट भाजपा से बाहर गया तो यक़ीनन उनसे बड़ा एहसान फ़रामोश कोई नहीं होगा।