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सैंकड़ों मौतों का जिम्मेदार कौन?

अभी हाल ही में अवैध व जहरीली शराब पीने से उत्तर प्रदेश के सहारनपुर व साथ लगते उत्तराखंड में 100 से अधिक लोगों की मौतें हुई हैं। इतना बड़ा मौतों का आकंड़ा अवैध शराब पीने से शायद पहली बार ही हुआ है। यह जहरीली शराब एक मर्मांहत त्रासदी के रूप में सामने आई। यह शराब उत्तराखंड में बनी और उत्तर प्रदेश में भेजी गई, तो इससे यह बात साफ होती है कि पुलिस की मिली भगत के बिना यह जहरीली शराब न तो एक स्थान से दूसरे स्थान तक लाई जाती और न ही सैंकड़ों की तादाद में इतनी अमूल्य जाने जाती। यह जितने भी लोग मारे गये हैं वह सभी पिछड़े तबके के लोग हैं क्योंकि सस्ती शराब के कारण ही उन्होंने इस जहरीली शराब का सेवन किया है। इ स बड़ी त्रासदी के बाद उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड दोनों की सरकारें सक्रिय हुई हैं। लेकिन यदि इस घटना से पहले यह दोनों सरकारें सतर्क होती तो निश्चित तौर पर यह कांड भी न हुआ होता। सहारनपुर जिले में तो जहॉं लाशों का आंकड़ा ही चौंका देने वाला है वहीं अस्पतालों में भी सैंकड़ों लोग जीवन -मृत्यु के बीच जुझ रहे हैं। जहरीली शराब के कारण पहली बार ही मौतें हुई हों ऐसा नहीं है। इससे पहले भी उत्तर प्रदेश के ही कुशीनगर में जहरीली शराब ने कई लोगों की जान ले ली थी और सरकार ने कुछ अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही भी की थी। लेकिन शायद यह कार्यवाही प्रभावी नहीं थी तभी दोबारा इतनी बड़ी घटना घट गई।
यद्यपि वर्ष 2017 में नकली शराब बनाने वालों के खिलाफ मौत की सजा का कानून बनाया गया था लेकिन इसके बावजूद इस पर रोक नहीं लगी। अवैध शराब के कारोबार पर नज़र रखने के लिए अलग से अस्थायी थाने और चौकियॉं भी बनाई गई लेकिन जमीनी सतह पर कोई सख्त कार्यवाही नहीं की गई। जैसा की अक्सर होता है भारी त्रासदी के बाद जांच आयोग बैठा दिये जाते हैं, इसलिए इस त्रासदी के बाद भी जांच कमेटी भी बिठा दी गई और एक समय सीमा के अन्तर्गत रिपोर्ट देने के आदेश भी दिये गये। इस त्रासदी के बाद दोनों ही प्रदेशों की सरकारों के खिलाफ विपक्ष आक्रामे है लेकिन इसमें भी मानवीय संवेदना कम और राजनीति अधिक दिखाई दे रही है।
राज्य सरकारें हर साल अपनी आबकारी नीति बनाती हैं लेकिन इस नीति के पीछे सिर्फ अधिक से अधिक शराब कैसे बिके और अधिक से अधिक राजस्व कैसे इक्ट्ठा हो, इसी बात पर सबकी नज़र रहती है। जहॉं भी अवैध शराब बनाई जाती है वह अधिकारियों की मिली भगत के बगैर संभव है ही नहीं।
जहरीली शराब के कारण उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में जो भारी मौतें हुई है उससे इस व्यवस्था में आमूलचूल बदलाव की आवश्यकता है। व्यवस्था की लापरवाही का खमियाजा आखिर आम लोग कब तक और क्यों भुगतें? सरकार को इन मौतों से सबक लेकर अब कठोर कदम उठाने ही चाहिए जिससे गरीब आदमी इसका फिर से शिकार न हो पाएं।

हरगुण

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