इस दौरान जिला कार्यक्रम अधिकारी अंजु बाला शर्मा ने अधिनियम की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 9 दिसम्बर, 2013, से लागू यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और सुधार) अधिनियम अपने नाम के ही मुताबिक इसके उद्देश्य रोकथाम, निषेध और निवारण को स्पष्ट करता है और उल्लंघन के मामले में, पीडि़त को निवारण प्रदान करने के लिये भी कार्य करता है। जिन संस्थाओं में दस से अधिक लोग काम करते हैं, उन पर यह अधिनियम लागू होता है।
इसके अतिरिक्त विधि एवं परिवीक्षा अधिकारी जिला बाल संरक्षण इकाई मंडी रमा कुमारी, पैरा लीगल वन स्टॉप सेंटर मंडी सरस्वती देवी और जिला न्यायालय मंडी की अधिवक्ता प्रियंका ने यौन उत्पीड़न और लैंगिक भेदभाव से बचाव और उनके कानूनी अधिकारों के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
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