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आरटीआई कार्यकर्ता भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई के लिए खड़ा है पुरजोर ढंग से

पावंटा(हिका):- नगर पालिका परिषद में कुछ पूर्व भारी गटका घोटाला सामने आया था, जिसमें सरकार की लाखों रुपये की बंदरबांट हुई थी। आरटीआई कार्यकर्ता चतर सिंह भ्रष्टाचार के खिलाफ विभिन्न मंचों से आवाज उठाते आ रहे हैं, लेकिन अभी तक उन्हें न्याय नहीं मिला। चतर सिंह सेवानिवृत्त राजपत्रित अधिकारी है। इन्होंने गटका कांड की सारी सूचना सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जुटाई थी और इस भ्रष्टाचार की शिकायत तत्कालीन मुख्यमंत्री व राज्यपाल तथा सरकार को की थी। विजिलेंस जांच द्वारा इसकी पड़ताल भी की गई, लेकिन विजिलेंस ने दबाव के तहत कार्य करके मामले की लीपापोती कर दी, लेकिन दोषियों का कुछ भी नहीं बिगड़ा, अपितु इस आरटीआई कार्यकर्ता को ही तरह-तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है।

गौरतलब है कि इस भ्रष्टाचार को उजागर करने में जो यह कार्यकर्ता लगे हुए हैं। इसमें इनका किसी भी तरीके का स्वार्थ दिखाई नहीं देता। यह केवल भ्रष्टाचार के विरोधी लड़ते आए हैं। इन्हे लगभग 11 वर्ष सेवानिवृत्त हुए हो गए हैं और अपने कार्यकाल में भी इन्होने भ्रष्टाचार के विरुद्ध अलख जगाए रखी और अनेकों भ्रष्टाचार के मुद्दे भी उठाए और उसमें इन्हे कामयाबी भी मिली।

सेवानिवृत्ति के बाद पावंटा नगर पालिका परिषद में जो घोटाले हुए हैं, उनको इन्होंने अनेक मंचों से उठाया, लेकिन इन्हें अभी तक न्याय नहीं मिला। एक भेंट में चतर सिंह ने कहा कि वह अपनी भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई जारी रखेंगे। चाहे इसके कुछ भी परिणाम हो। अभी हाल ही में उन्होंने महामहिम मुख्य न्यायधीश महोदय को भी एक पत्र लिखा है और गटका कांड की निष्पक्ष जांच कराने का आग्रह किया है।

यह मामला जनहित से जुड़ा हुआ है। क्योंकि भ्रष्टाचार का सारा पैसा कुछ स्वार्थी लोगों की जेब में गया है जबकि यह पैसा जनता के हित में लगाया जाना चाहिए था। अपनी याचिका में आरटीआई कार्यकर्ता ने उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से यह भी आग्रह किया है कि यदि गटका कांड मे जो भ्रष्टाचार हुआ है, उसके पूरे दस्तावेज आरटीआई के माध्यम से उनके पास पहुंच चुके हैं। जो उन्होंने विजिलेंस को भी सौंपे थे, लेकिन विजिलेंस ने दबाव के कारण उन साक्ष्यों को दरकिनार कर दोषियों को क्लीन चिट दे दी थी, जो बिल्कुल गलत है।

अब देखना है कि माननीय उच्च न्यायालय इनकी शिकायत पर क्या कार्यवाही करते है और कब कार्यवाही करते है। आज 68 बसंत पार करने के बाद वह भी काफी अपने आप को कमजोर महसूस कर रहे हैं, लेकिन उनकी हिम्मत ने अभी उनका साथ नहीं छोड़ा है और वह कह रहे हैं कि वह भ्रष्टाचार के विरुद्ध मृत्यु पर्यंत लड़ते रहेंगे। आज भी जो उन्हें पेंशन मिल रही है, उसमें से भी काफी बड़ा हिस्सा वह भ्रष्टाचार रोकने के लिए जन सूचना अधिनियम के तहत आवश्यक सामग्री जुटाने में खर्च करते रहते हैं।

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