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एचआईवी के खिलाफ इस लड़ाई में हम साथ हैं- डॉ. हर्षवर्धन

हिमवंती मीडिया/शिमला 

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 75वें सत्र को डिजिटल रूप से संबोधित किया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने प्रस्ताव 75/260 पर बात की जो एचआईवी/एड्स पर प्रतिबद्धता की घोषणा और एचआईवी/एड्स पर राजनीतिक घोषणाओं के कार्यान्वयन से संबंधित है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा के इस प्रतिष्ठित मंच को संबोधित करते हुए सम्मानित और प्रसन्न महसूस कर रहा हूं। मैं अपनी सरकार की ओर से आप सभी को हार्दिक बधाई देता हूं और इस बैठक की योजना बनाने में शामिल सभी लोगों को धन्यवाद देता हूं। एड्स पर इस उच्च स्तरीय बैठक में भाग लेना भारत के लिए खुशी और सौभाग्य की बात है। जहां आम धारणा यह है कि एचआईवी महामारी नियंत्रण में है, महामारियां बार-बार उभरती हैं और इसलिए, निरंतर निगरानी एवं सही समय पर उपचारात्मक उपाय आवश्यक हैं।

मुझे अपने संबोधन की शुरुआत स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और आउटरीच कार्यकर्ताओं सहित अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं के प्रयासों की सराहना करते हुए करनी चाहिए, जिन्होंने कोविड-19 के दौरान अपनी जान जोखिम में डालकर यह सुनिश्चित किया है कि एचआईवी से पीड़ित किसी भी व्यक्ति के लिए दवा का अभाव न हो। मैं इस अवसर पर उन लोगों को भी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, जिन्होंने हमारे सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद इस अवधि के दौरान एचआईवी-एड्स की वजह से अपनी जान गंवाई।

भारत ने यह प्रदर्शित किया है कि महामारी के खिलाफ प्रतिक्रिया में असमानताओं और अंतरालों को दूर करने के लिए मजबूत राजनीतिक नेतृत्व सबसे महत्वपूर्ण है। कोविड-19 महामारी के दौरान, भारत ने एचआईवी सेवाओं पर कोविडके प्रभाव को कम करने के लिए समुदायों, नागरिक समाज और विकास भागीदारों को शामिल करके त्वरित और समय पर कार्रवाई की। भारत में, एचआईवी और एड्स रोकथाम एवं नियंत्रण अधिनियम, 2017, संक्रमित तथा प्रभावित आबादी के मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए एक कानूनी और सक्षम ढांचा प्रदान करता है।भारत का विशिष्ट एचआईवी रोकथाम मॉडल ‘सोशल कॉन्ट्रैक्टिंग’ की अवधारणा के इर्द-गिर्द केंद्रित है, जिसके जरिए सिविल सोसाइटी की मदद से ‘लक्षित हस्तक्षेप कार्यक्रम’ लागू किया जाता है। कार्यक्रम का उद्देश्य व्यवहार परिवर्तन, संचार, आउटरीच, सेवा वितरण, काउंसलिंग एवं जांच करना और एचआईवी स्वास्थ्य सेवा के साथ इनका मेल सुनिश्चित करना है।

भारत करीब 14 लाख लोगों को मुफ्त एंटी-रेट्रो-वायरल उपचार मुहैया करा रहा है। अफ्रीका में एचआईवी से पीड़ित लाखों लोगों तक भी भारतीय दवाएं पहुंच रही हैं। भारत के राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम को दुर्गम और जोखिम वाली आबादी पर ध्यान केंद्रित करने के लिए संशोधित, पुनर्जीवित और परिवर्तित किया गया है। हम धीरे-धीरे एचआईवी से पीड़ित लोगों को डोल्यूटग्रेविर की तरफ ले जा रहे हैं, जो एक सुरक्षित और प्रभावोत्पादक एंटी-रेट्रो-वायरल दवा है।

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