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कुंभ का आगाज

आखिर विश्व के सबसे बड़े सांस्कृतिक, आध्यात्मिक समागम कुंभ का आगाज हो ही गया। कुंभ पर्व, भारत की सामाजिक-सांस्कृतिक अवधारणाओं का जीवंत प्रतीक है। इसीलिए इसे भारतीय संस्कृति का महापर्व कहा गया है। 15 जनवरी से 4 मार्च 2019 तक प्रयाग में संगम के तट पर कई परंपराओं, भाषाओं और लोगों का भी अद्भुत संगम होगा। यही नहीं संगम तट पर स्नान और पूजन का विशेष महत्व तो है ही साथ ही जहॉं कुंभ का बौ(क, ज्योतिषिय और वैज्ञानिक आधार भी है वहीं इस महापर्व से कुंभी स्नाहन और ज्ञान का भी अनूठा संगम सामने आता है। इस पर्व को विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक मेला माना जाता है इस मेले में पहली बार एक बड़े लम्बे चौड़े तट पर जगह-जगह 35 घाटों पर स्नान की व्यवस्था की गई है तथा श्र(ालुओं की सुरक्षा के लिए पुलिस, पैरामिलट्री फोर्स और होमगार्ड के लगभत 25 हजार से अधिक जवानों की तैनाती की गई है। यही नहीं मेला स्थल पर आने वाले श्र(ालुओं के वाहनों के लिए भी 1300 हेक्टेयर में पार्किंग की व्यवस्था की गई है जिसमें लगभग 5 लाख के करीब वाहनों के खड़ा करने की सुविधा श्र(ालुओं को दी गई है।
वैसे तो कुंभ पर प्रयागराज की छटा देखते ही बनती है। लेकिन इस बार यह छटा कुछ और निराली दिखती है। इस बार मेला क्षेत्र में बड़े-बडे होर्डिंग्स और बैनरों पर कुंभ की गौरव गाथा लिखी गई है। इसे ‘कुंभ की कहानी, प्रयाग की जुबानी’ थीम पर प्रस्तुत किया गया है, जिससे पौराणिक महत्व के साथ चित्र भी उकेरे गए हैं। इसी थीम पर शहर में विभिन्न चौराहों पर स्क्रीन पर वीडियो भी चलाए जा रहे हैं। होर्डिंग्स पर चारों वेद तथा स्कंद पुराण, मत्स्य पुराण, गरुड़ पुराण समेत 18 पुराणों और उपनिषदों के प्रमुख सूत्र वाक्य और रामचरितमानस की चौपाई-दोहे लिखे गए हैं।
हमारे देश में नदियों को बेहद पवित्र माना जाता है और नदी में स्नान का उत्सव तन ही नहीं मन के मैल को धोने का भी उत्सव होता है। तथा कुंभ व्यक्ति के जीवन में अमृत की तलाश की राह खोलते हैं। लोगों के मन में धर्म और अध्यात्म के प्रति सदियों से आस्था रही है। कुंभ एक बहुत बड़ा वैश्विक आयोजन है तथा इस मंच से भारत की विविधता को समझने का भी मौका मिलता है। विभिन्न रीति-रिवाज, परम्पराओं को मानने वाले लोग देश भर से यहॉं आते हैं और कुंभ मेला का हिस्सा बनते हैं। इस मेले में कुछ वर्षों से राजनेताओं की शिरकत और उनका दखल बढने लगा है । जैसे -जैसे कुंभ का मेला भव्य रूप लेता जा रहा है वैसे -वैसे लोगों की आस्था भी इस मेले के प्रति बढ़ती जा रही है। वास्तव में कुंभ पर्व देश के समवेत सांस्कृतिक जीवन का व्यावहारिक उदाहरण है। कुंभ सरीखे पर्वों और मेलों ने भारतीयता के रूप में राष्ट्रीयता को प्राणवान बनाए रखा है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस मेले को दिव्य और भव्य स्वरूप प्रदान करने के लिए कृतसंकल्प है तथा उनका इस मेले के प्रति प्रयास है कि वह मेले में आने वाले श्र(ालुओं को हर सुविधा, सुरक्षा और श्र(ा भक्ति से परिपूर्ण माहौल मिले। इसके लिए भी सरकार कई तरह के उपाय कर रही है। कुंभ मेले में बढ़ती भीड़ को देखकर यह अहसास होता है कि हम बाहुलतावादी संस्कृति के वाहक होते हुए भी एक है।

हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रतीक राजीव हुसैन भागवत

युवराज