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कैदियों के लिए सृजनात्मक और आजीविका कार्य सुनिश्चित कर रही है कारागार एवं सुधारात्मक सेवाएं

शिमला(लो.स.वि.):- कारागार एवं सुधारात्मक सेवाएं विभाग का कार्य न केवल कैदियों को जेल के अन्दर बंद रखने अपितु कारावास की अवधि के दौरान इन्हें रचनात्मक व जीविकोपार्जन कार्य में व्यस्त रखते हुए इनका सुधार करना भी प्रमुख है, ताकि वे अपनी इस कारावास अवधि का सदुपयोग करके नए-नए कार्य व हुनर सीखें, जिससे जेल से छूटने के उपरांत अपनी न केवल आजीविका अर्जित कर सकें, अपितु परिवार की देखभाल कर सकें। इसलिए सरकार ने कैदियों के कल्याण हेतु जेलों में अनेक योजनाएं शुरू की हैं।
पिछले तीन वर्षों के कार्यकाल में ‘हर हाथ को काम’ योजना के तहत जेलों में बेकरी, कैंटीन, सिलाई, बैल्डिंग, कार वाशिंग, लाॅंड्री, स्पाइस यूनिट, सैलून आदि के नए कार्य आरम्भ किए गए हैं तथा पूर्व में शुरू किए गए कार्य जैसे कारपेंटरी, डेयरी फार्मिंगखड्डी शाखा के कार्यों में बढ़ोतरी की है, जिसमें बंदियों को उनकी कार्यक्षमता व रूचि के अनुसार कार्य सिखाया जा रहा है। बंदी इस तरह नए-नए कार्य सीखने के साथ-साथ आय भी अर्जित कर रहे हैं।
विभाग द्वारा चलाई जा रही इन कल्याणकारी योजनाओं के कारण वर्ष 2017-18 में तीन करोड़ 24 लाख रुपये का टर्नओवर प्राप्त हुआ है, वर्ष 2018-19 में तीन करोड़ 58 लाख रुपये का टर्नओवर तथा वर्ष 2019-20 में चार करोड़ 68 लाख रुपये का टर्नओवर प्राप्त हुआ है। वर्ष 2018-19 में एक करोड़ 19 लाख रुपये की मजदूरी, जबकि वर्ष 2019-20 में एक करोड़ 48 लाख रुपये की मजदूरी दी गई। 

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