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ट्रांसगिरी के ट्राईबल स्टेटस को लेकर दलित और स्वर्ण आमने सामने

हिमवंती मीडिया/ शिलाई (सुंदर) 

स्वर्ण समाज के लोग ट्राईबल घोषित करवाने के लिए खुमलियां कर रहे है और दलित समाज इसके बिरो़ध मे उतरे है। स्वर्ण लोगो को लगता है कि आरक्षण न होने के कारण उनके बच्चे नोकरीयों से पिछड़ रहे है और दलितो को लगता है कि आरक्षण छिन जाने से उनके बच्चे नोकरीयों से पिछड़ जाऐगें, इसी मुददे को लेकर सियासत भी गरमा गई है। शिलाई भाजपा के एक नेता ने तो यहां तक कह दिया है अगर वो ट्रांसगिरी को ट्राईबल स्टेटस न दिलवा सके तो वोट मांगने ही नही आऐगें। हालांकि उनको अभी यही मालूम नही है कि टिकट मिलेगा भी या नही? चूंकि शिलाई मे भाजपा के टिकट के तलबगारो की लंबी फेहरीस्त है। दुसरा कारण यह भी हो सकता है कि शिलाई मे भ्रष्टाचार के आरोप के कारण भाजपा की इमेज धूमिल हुई है,जिससे जनता ने उनसे दूरी बना ली है।

ट्राईबल स्टेटस दिलवाने के नाम पर जनता फिर से उनकी तरफ झुक सकती है। ऐसा दिख भी रहा है, जहां पर हाटी समिति की बेठक होती है वहां भाजपा के यह नेता जरूरत जाते है, ताकि पार्टी को लगे की यह भीड़ हाटी दर्जे नही भाजपा के लिए जुटी है,  जैसा कि ट्रांसगिरी में देखने को मिल रहा है,यहां पर दलित समुदाय का एक बहुत बड़ा वर्ग भाजपा/केन्द्र की मोदी सरकार के खिलाफ जाता दिख रहा है,इस क्षेत्र में दलितों का 40% वोट है,अगर यह वोट एकतरफा भाजपा के खिलाफ चला जाता है तो फायदे की जगह उनको नुकसान ही होगा। इस फेसले का संदेश पुरे देश और प्रदेश में फैल सकता है, चूंकि दलित समुदाय पहले से ही आरोप लगाते रहे है कि भाजपा स्वर्ण कि पार्टी है जो दलितो के आरक्षण को खत्म करना चाहती है। उनका यह आरोप सच भी सिबित हो रहा है। क्योंकि आरक्षण को खत्म करने का सबसे बडा तरीका यही है कि सबको आरक्षण दे दो। भाजपा ट्रांसगिरी मे ऐसा करने की कोशिश कर रही है, अगर दलित इसका बिरोध करते है तो इसका संदेश पुरे देश मे जाऐगा जिसका असर आने वाले लोकसभा चुनाव मे पड़ेगा।

देश मे दलितों का 22 प्रतिशत वोट है, राज्यों के हिसाब से हिमाचल मे पंजाब के बाद सबसे ज्यादा दलित वोट प्रतिशत है। इसी साल हिमाचल में विधानसभा का चुनाव भी है और अगर दलित भाजपा से रूष्ट हो जाते है तो इसका असर विधानसभा चुनाव में पड़ेगा। भाजपा फिलहाल मिशन रिपीट का राग अलाप रही है अगर उसने ऐसे भावनात्मक मुददो को उछाला तो मिशन रिपीट मिशन डिफीट मे भी बदल सकता है। दलितो ने संगड़ाह की अपनी रोष रेली में स्पष्ट कर दिया है अगर उनके अधिकारो से जरा भी छेड़छाड हुई तो आने वाले चुनाव मे भाजपा को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेगे।अगर आरक्षण पर एक नजर डाले तो अभी एससी और एसटी को 22.5 फिसद आरक्षण है। जिसमे एससी को 15%और एसटी को 7.5%जबकि ओबीसी को 27% आरक्षण है. अगर यह क्षेत्र ट्राईबल बनता है तो सबको 7.5% ही आरक्षण मिलेगा। इससे सबसे ज्यादा नुकसान ओबीसी का है। जो 27% से सीधे 7.5% पर आ जाऐगे जबकि दलित भी इसी अनुपात पर रहेगे।

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