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“पर्यावरण हितैषी” कार्यो के निष्पादन से पार्वती-III पावर स्टेशन ने अपनी अलग पहचान बनायी

कुल्लु(दीपक कुल्लुवी):- हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू को विश्व के मानचित्र मे पर्यटन नगरी की पहचान तो जग–जाहिर है, किंतु विगत कुछ वर्षों से कुल्लु जिले ने विश्व पटल में भारत के “हाईड्रो पावर हब” के नये नाम से पहचान बनायी है और इस पहचान को आगे बढाने में लगातार अपना सहयोग देते हुये भारत सरकार की हाईड्रोपावर सैक्टर की अग्रणी कम्पनी “एनएचपीसी” ने अपनी 800 मेगावाट की निर्माणाधीन परियोजना पार्वती-॥ व वर्तमान में संचालित 520 मेगावाट के पार्वती-III पावर स्टेशन के निर्माण से इस क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास में चार चांद लगा दिये है।

एनएचपीसी के पार्वती-III पावर स्टेशन ने न सिर्फ परियोजना निर्माण से बल्कि पर्यावरण संरक्षण के भी विशेष प्रावधान किये है। पार्वती-III पावर स्टेशन एनएचपीसी की पहली जल-विद्युत परियोजना है जिसके बांध में “ई-फ्लो” का प्रावधान रखा गया है जिसके कारण पार्बती-III के बांध से हमेशा स्वत: ही न्यूनतम 1.151 क्यूमेक्स जल का निकास होता रहता है, इससे संबन्धित जानकारी रियल टाईम बेस पर एच पी एस पी सी बी की वेबसाईट पर नियमित रूप से प्रदर्शित किया जाता है। इस ई-फ्लो के कारण सैन्ज नदी की पर्यावरणीय परिस्थिति अच्छी बनी रहती है ।

सैन्ज क्षेत्र में पार्वती-III ने अपनी पहचान एक पर्यावरणीय हितैषी परियोजना के रुप में बनाई हुई है । इस परियोजना में कैट प्लान के तहत ग्रेट हिमालयन नैशनल पार्क (GHNP) और सिराज वन क्षेत्र में कैट-ट्रीटमेन्ट प्लान से संबन्धित गतिविधियों को करने हेतु एनएचपीसी द्वारा कुल 25.29 करोड़ की राशि वन विभाग हिमाचल प्रदेश को प्रदान की गई । जिसमें से वर्तमान में वन विभाग द्वारा अभी तक 14.74 करोड़ का व्यय किया जा चुका है। 

मत्स्य पालन को लेकर पार्वती-III पावर स्टेशन द्वारा बंजार के तीर्थन वैली में “हमनी ट्राऊट फिश फार्म” का विकास करने हेतु प्रदेश के “मत्स्य विभाग” को 130 लाख रुपये दिये गए। इस फार्म का संचालन फरवरी 2018 में शुरू किया गया था तथा मार्च 2019 से इस फार्म में “ट्राऊट फिश” के उत्पादन से मत्सय विभाग को विक्रय लाभ मिल रहा है। इसके साथ ही इस फार्म से ट्राऊट फिश की फार्मिंग हेतु सीड्स को आस-पास की नदियों के पानी में छोड़ा भी जाता है ।

इसके साथ ही पावर स्टेशन द्वारा, “मक-डिस्पोसेबल” साइटों पर पौधारोपण ,आवासीय कालोनी में “कचरे से खाद” बनाने हेतु “कम्पोज्ट मशीन” “सिवरेज़ ट्रीटमेंट प्लांट” और कूड़े को सही के ढंग से निपटान के लिए “इनसीनेरेटर” आदि को लगवाया गया है, जिससे आस-पास का वातातारण दूषित नही होता है और यह पर्यावरण के लिए बहुत ही लाभप्रद साबित हो रहा है । पार्वती-III के बांध के जलाशय के चारो ओर “रिम ट्रीटमेंट” प्लान में लगभग 50 लाख का खर्च किया गया।  

पर्यावरण प्रबन्धन योजना के तहत हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा 68.08 करोड़ खर्च करने का लक्ष्य पार्वती-III पावर स्टेशन को दिया था जबकि अभी तक 91.07 करोड़ का खर्चा पर्यावरण प्रबंधन योजना पर खर्च किया जा चुका है । जोकि लक्ष्य से लगभग 30% अधिक है । जिसकी सराहना प्रदेश सरकार के द्वारा भी की गयी।

ये कहना कोई गलत नहीं होगा कि “हरित-ऊर्जा” के उत्पादन से प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाते हुये एनएचपीसी ने इस इलाके के विकास में अभूतपूर्व योगदान दिया है ।पार्वती-III पावर स्टेशन के महाप्रबन्धक (प्रभारी)बिक्रम सिंह का कहना है कि पर्यावरण को संतुलित रखने की ज़िम्मेदारी हम सब की व्यक्तिगत व नैतिक कर्तव्य की तरह है और जल-विद्युत ऊर्जा का उत्पादन इस प्रदूषण मुक्त “हरित ऊर्जा” के रूप में “पर्यावरण हितैषी” के सर्वश्रेष्ठ विकल्पों में से एक है।

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