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प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक को संबोधित किया

 

 

शिमला (पी.आई.बी):- इस अवसर पर अपने सम्बोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि 75 वर्ष पूर्व समूचे विश्व के लिए एक संस्था का गठन किया गया था, जो मानव इतिहास की पहली ऐसी घटना है। इससे युद्ध के भय के बीच एक उम्मीद जगी थी। उन्होंने आगे कहा कि विश्व संस्था की स्थापना से जुड़े संयुक्त राष्ट्र अधिकार पत्र पर एक हस्ताक्षरकर्ता होने के नाते भारत उस महान विचार का हिस्सा रहा है, जो भारत के अपने दर्शन ‘वसुधैव कुटुंबकम में परिलक्षित होता है। भारत विश्व की सभी रचनाओं को एक परिवार मानना है।

संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशनों सहित शांति और विकास को आगे बढ़ाने वालों का स्मरण करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा विश्व संयुक्त राष्ट्र संघ की बदौलत ही बेहतर स्थिति में है। अपनाए जा रहे संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र के संबंध में उन्होंने कहा कि बहुत कुछ हासिल किया गया है लेकिन मूल मिशन पूर्ण होना अभी बाकी है। हम जिन दूरगामी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए जिस घोषणापत्र को स्वीकार कर रहे हैं उससे भी आगे कई कदम उठाए जाने अभी बाकी हैं ताकि टकराव को रोका जा सके, विकास सुनिश्चित हो, जलवायु परिवर्तन के मुद्दे का निराकरण हो, असमानता को कम किया जाए और डिजिटल तकनीकियों को बढ़ावा दिया जाए। यह घोषणापत्र इस बात की भी स्वीकृति है कि संयुक्त राष्ट्र संघ में भी सुधार की आवश्यकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा, बिना समग्र सुधार के संयुक्त राष्ट्र के समक्ष आत्मविश्वास का संकट है। पुराने पड़ चुके ढांचे से वर्तमान चुनौतियों से नहीं निपटा जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि आपस में जुड़े विश्व के दौर में बहुस्तरीय सुधार करने की आवश्यकता है जिसमें वर्तमान समय की चुनौतियां परिलक्षित हों, जो सभी की आवाज़ बन सके, सम सामयिक चुनौतियों का सामना कर सके और जो मानव कल्याण को अपने केंद्र में रखे। भारत इस दिशा में अन्य सभी देशों के साथ मिल कर काम करने का इच्छुक है।

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