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विरोध प्रदर्शन प्रशांत भूषण की सजा के खिलाफ ऑल इंडियालॉयर्स युनियन द्वारा

 

 महाराष्ट्र (ब्यूरो):- सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को दो मामलों में अदालत की अवमानना का दोषी करार दिए जाने का देश भर मे कडा विरोध किया जा रहा है। ऑल इंडिया लॉयर्स युनियन के नेतृत्व में अंधेरी स्थित न्यायालय परिसराच्या के बाहर वकीलों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया।

वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने मुख्य न्यायाधीश शरद बोबड़े की एक तस्वीर को नागपुर के राजभवन में एक बहुत महंगी मोटरसाइकिल की सवारी करते हुए ट्वीट किया था। उन्होंने पिछले छह वर्षों में सुप्रीम कोर्ट के कामकाज पर नाराजगी व्यक्त करते हुए ट्वीट भी किया। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा, भूषण गवई और कृष्ण मुरारी ने दोनों ट्वीट्स के आधार पर उन्हें आपराधिक अवमानना का दोषी करार दिया है।

अवमानना कानून के अनुसार, अटॉर्नी जनरल के. वेणुगोपाल की राय जानना अनिवार्य था। लेकिन प्रशांत भूषण मामले में फैसला सुनाए जाने से पहले अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल का पक्ष नहीं सुना गया। इस पर भी प्रदर्शनकारी वकीलों ने सवाल उठाए। ऐसे दमनकारी आदेशों  के कारण, वकील न्यायिक प्रक्रिया में अपनी भूमिका को निर्भयता से नहीं कर पाएंगे।

प्रदर्शनकारी वकीलों का कहना था कि, यह निर्णय केवल वकील ही नहीं बल्कि मानवाधिकार एवं क़ानूनी प्रश्नों पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं और वकीलों को भी अपनी राय अथवा मतभेद व्यक्त करने में अडंगा डालनेवाला और अभिव्यक्ती स्वातंत्र्य के संवैधानिक अधिकारों का हनन करनेवाला है। न्यायाधीशों की कृति को किसी भी टिप्पणी या जांच पड़ताल से मुक्त ठहराए जाने वाले इस आदेश का इस्तेमाल अदालती करवाई का डर दिखा के प्रतिरोध के स्वर दबाने के लिए किया जा सकता है। इसके कारण न्यायालय की स्वतंत्रता गरिमा, महत्त्व कम हुए हैं। लोगों को इससे काफी निराशा भी हुई है।  

राज्य के पूर्व महाधिवक्ता डारयस खंबाटा, वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार, जनक द्वारकादास, दुष्यंत दवे, श्याम दिवानी, वृंदा ग्रोवर, मिहिर देसाई और 40 से अधिक वरिष्ठ अधिवक्ता पहले ही एक सार्वजनिक बयान में फैसले पर अपनी नाराजगी व्यक्त कर चुके हैं। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्वतः संज्ञान लेकर तेजी से सुनाए गए फैसले पर नाराजी व्यक्त करते हुए प्रशांत भूषण के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस मदन लोकुर, दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) ए.पी.शाह, पटना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अंजना प्रकाश, इतिहासकार रामचंद्र गुहा, लेखिका अरुंधति रॉय और वकील इंदिरा जयसिंह समेत 131 लोगों द्वारा हस्ताक्षरित एक बयान उनके खिलाफ अवमानना मामलों को वापस लेने के लिए एक निवेदन दायर किया गया है।

दुनिया के कई देशों और विशेष रूप से मजबूत लोकतंत्रों में अवमानना का कानून अब प्रचलित हो रहा है। उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका में, अदालत के फैसलों पर टिप्पणी करना आम है। संयुक्त राज्य अमेरिका में, जहां अवमानना या अदालत की अवमानना की स्थिति में प्रावधान है, किन्तु देश के संविधान में प्रथम संशोधन के आधार पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को अधिक तरजीह दी जाती है। भारत में लागू कई कानून ब्रिटिश कानून से लिए गए हैं, लेकिन न्यायपालिका की अवमानना को ब्रिटिश कानून आयोग की सिफारिश पर अपराधों की सूची से हटा दिया गया है, लेकिन हम अभी भी इसी कानून से चिपके होने की आलोचना भी इस आन्दोलन में की गई। ऑल इंडिया लॉयर्स युनियन की ओर से आयोजित इस विरोध प्रदर्शन में, एड.चंद्रकांत भोजगर, एड.एलन परेरा, एड.बलवंत पाटिल, एड.सुभाष गायकवाड़, एड.काशीनाथ त्रिपाठी, एड.रमेश तिवारी, एड. काजी, एड. के.सी. उपाध्याय, एड.राजेंद्र कोर्डे सहित ढेरों वकील उपस्थित थे।

                               

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