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बलात्कारियों के नृशंस वारदात ने, संवेदनाओं की चौखट को, इस कदर उखाड़ फेंका है, कि सारा का सारा घर, पूरी निर्लज्जता के साथ उद्घाटित हो गया है

लेखक – शशि मोहन सिंह
डॉ.प्रियंका रेड्डी के बहाने
एक प्रश्न फिर उछला है
इस विषाक्त वातावरण में ।।
डॉ.प्रियंका रेड्डी की शक्ल में
अपनी संपूर्ण विद्रूपता के साथ
बलात्कारियों के नृशंस वारदात ने
संवेदनाओं की चौखट को
इस कदर उखाड़ फेंका है
कि सारा का सारा घर
पूरी निर्लज्जता के साथ
उद्घाटित हो गया है ।।
दीवारों पर पुती कालिख़
इस क़दर दिखाई दे रही है
मानो कह रही है कि
एक सड़ांध को समेटे है यह घर
यह मोहल्ला
यहाँ तक कि पूरा का पूरा शहर
या फिर पूरी की पूरी सभ्यता ही
तभी तो इस सभ्यता की कोख से
पैदा हुए बलात्कारी डोल रहे हैं
यहाँ से वहाँ ।।
निर्भया-दर-निर्भया
प्रियंका-दर-प्रियंका
चलो माना
कानून, पुलिस और अदालत
की चौखटों पर
जिरह-दर-जिरह के बाद
लटका दिए जाएँगे
ये नाराधम
फाँसी के फंदे पर
फिर उससे क्या ?
सभ्यता की कोख़ से
फिर पैदा नहीं होंगे ।।
खूँख़ार भेड़िए
जो इंतजार में रहेंगे
किसी और प्रियंका के स्कूटी के
पंचर होने का
तो फिर करें क्या ?
चलो इस सभ्यता का गला घोट दें
या फिर भ्रूण में पलती
मानव बालिका के पैदा होने पर
खड़ा करें कोई प्रश्न
क्योंकि अब ये सवाल जायज है
अरे आबरू के आवरण में
ढ़ँकी बेटियों की
परवरिश की प्रणाली
और बेटों की गलतियों पर
इतराते ।।
इस पुरुष प्रधान समाज की
सोच को ढ़हने तक
उठाने होंगे हाथों में
कुदाल, फावड़े और गैंती
साथ ही विचारों की
दलदली जमीन पर
उग आए इस कुत्सित पौरूष की
वीभत्स सोच पर
करने होंगे घातक प्रहार।।
हमको, तुमको सबको
यहाँ तक कि
निर्भया और प्रियंका को भी
या फिर इस सभ्यता का
गला घोंटना होगा
और इस पूरी कायनात को
तब्दील कर देना होगा
एक सुलगते जंगल में
क्योंकि प्रश्न शेष है
और उत्तर अनुत्तरित
डॉ.प्रियंका रेड्डी की शक्ल में
डॉ.प्रियंका रेड्डी के बहाने ।।

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