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बैशाखी पर्व पर राजगढ़ क्षेत्र में बनाये जाते हैं आटे के बकरे

राजगढ़(पवन तोमर):– राजगढ़ क्षेत्र में बैशाख की सक्रांति अर्थात बीशू के पर्व को बड़े हर्षोंल्लास के साथ मनाया गया। इस पर्व पर क्षेत्र में  आटे के बकरे बनाने की अनूठी परंपरा बदलते परिवेश में भी कायम है । कोविड-19 के चलते इस वर्ष यह त्यौहार काफी फीका रहा,  जबकि कालांतर से इस पर्व को हर वर्ष नववर्ष के आगमन के रूप में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता रहा है।  ट्रहाई गांव के वरिष्ठ नागरिक प्रीतम ठाकुर ने बताया कि बीशू का त्यौहार राजगढ़ क्षेत्र के अतिरिक्त पड़ोसी जिला शिमला के क्योंथल  में भी पारंपरिक ढंग से मनाया जाता है । यह पर्व तीन दिनों तक चलता है जिसमें संक्रांति से दो दिन पहले लोग अपने घरों में सिडडू बनाते है जबकि इस त्यौहार में आटे के बकरे तथा  अस्कलियां  बनाने की विशेष परंपरा है जिसे घी के साथ खाया जाता हैं ।संक्राति के दिन लोग अपने घरों के बाहर बुरांस के फूलों की माला लगाते है जिसे इस पर्व पर बहुत शुभ माना जाता है । बीशू की साजी के अवसर पर कई स्थानों पर मेलों का भी आयोजन होता था।

संक्राति के दिन विशेष तौर पर कुल देवता की पूजा का विधान है और लोग घरों में आटे के बकरे, खीर व पटांडे इत्यादि व्यंजन के बड़े शौक से बनाते हैं । ट्रहाई गांव की इंदिरा ठाकुर बताया कि पहाड़ों में देवताओं की पूजा के लिए चार प्रमुख त्यौहारों  का विशेष महत्व है, जिनमें बैशाख संक्राति, श्रावण मास की  हरियाली संक्राति, दीपावली और मकर संक्राति शामिल है । इसी प्रकार राजगढ़ क्षेत्र के पीठासीन शिरगुल मंदिर शाया में भी बैशाखी पर्व पर सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने शीश नवाया और कुल देवता का आर्शिवाद प्राप्त किया।

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