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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जारी की एडवाजरी

हिमवंती मीडिया/मंडी

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बच्चों पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव को देखते हुए उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए एक एडवाइजरी जारी की है। इसे बच्चों पर महामारी के निरंतर प्रभाव और महामारी की तीसरी लहर के बारे में विशेषज्ञों की आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया है।

अतिरिक्त उपायुक्त जतिन लाल ने इस बारे जानकारी देते हुए बताया कि आयोग ने एडवाइजरी जारी कर निकट भविष्य के जोखिमों को देखते हुए सभी हितधारकों से अधिक से अधिक तैयारी करने का आह्वान किया है। आयोग ने अपने महासचिव, बिंबाधर प्रधान के माध्यम से संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों विभागों के सचिवों और राज्यों के मुख्य सचिवों और केन्द्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों को लिखे पत्र में एडवाइजरी में उल्लेखित अपनी संस्तुतियों को लागू करने के लिए कहा है ।

अतिरिक्त उपायुक्त ने बताया कि विभिन्न प्राधिकरणों की रिपोर्ट में महामारी से उत्पन्न परिस्थितियों के मद्देनजर बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए किए गए विशिष्ट उपायों को शामिल करना अपेक्षित है। एडवाइजरी में कोविड-19 महामारी के दौरान स्वास्थ्य, शिक्षा, बाल देखभाल संस्थानों और अनाथ बच्चों के चार प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

एडवाइजरी की कुछ महत्वपूर्ण संस्तुतियां इस प्रकार हैं –
बाल चिकित्सा कोविड अस्पतालों और प्रोटोकॉल को मजबूत करें। सभी अस्पतालों को चाइल्डलाइन (1098), स्थानीय बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी), जिला बाल संरक्षण इकाई (डीसीपीयू), स्थानीय पुलिस, आदि की संपर्क जानकारी प्रमुखता से प्रदर्शित करनी चाहिए। केन्द्र और राज्य स्तर पर मंत्रालयों और विभागों को भी अपनी वेबसाइट पर तुरंत और प्रमुखता से कोविड से संबंधित एक पेज स्थापित करना चाहिए, ताकि कोविड महामारी के दौरान बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा से संबंधित सभी महत्वपूर्ण परिपत्रों और आदेशों को साझा किया जा सके और कार्यान्वयन की प्रगति की सूचना दी जा सके।

जिलाधिकारियों को माता-पिता की मृत्यु के 4-6 सप्ताह के भीतर मौजूदा सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और नीतियों से जोड़कर उन परिवारों को आर्थिक रूप से समर्थन देने के लिए कदम उठाने हैं, जिन्होंने माता-पिता में से किसी एक को खो दिया है। इसमें प्रधानमंत्री द्वारा 29 मई 2021 को ’पीएम- केयर्स फॉर चिल्ड्रेन’ योजना के तहत घोषित लाभों में तेजी लाने के लिए कदम शमिल होने चाहिए। उच्चतम न्यायालय के दिनांक 28 मई 2021 के आदेश और एनसीपीसीआर द्वारा सभी मुख्य सचिवों को दिनांक 26 मई 2021 को दिए गए निर्देशों के अनुपालन में कोविड-19 महामारी के दौरान अनाथ हुए सभी बच्चों के पुनर्वास में राज्यवार प्रगति को दर्शाना।

कोविड महामारी के दौरान बच्चों को मनोवैज्ञानिक सहायता के लिए 1800-121-2830 पर उपलब्ध टोल-फ्री टेलीफोन परामर्श सेवा संवेदना के बारे में जानकारी का प्रसार। कोविड-19 के लिए परीक्षण किए गए बच्चों की विभिन्न श्रेणियों के बारे में आधिकारिक वेबसाइट पर अलग-अलग डेटा बनाए रखना, पॉजिटिव पाए गए, ठीक हो गए और वायरस के कारण मर गए, बाल चिकित्सा कोविड देखभाल सुविधाओं को मजबूत करने के लिए विशेष कदम उठाए गए, आदि।

सभी बच्चों के लिए ऑनलाइन शिक्षा तक पहुंच के लिए डिजिटल सुविधाओं का सार्वभौमिकरण सुनिश्चित करना। इस उद्देश्य के लिए विशेष रूप से पर्याप्त बजट आवंटित किया जाना चाहिए और इसके लिए एक निगरानी तंत्र विकसित करना चाहिए।

यह सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएं कि महामारी की वजह से बच्चों को बाल श्रम, बाल विवाह या तस्करी जैसी दुर्घटनाओं के शिकार होने के लिए मजबूर करने वाली परिस्थितियों के कारण स्कूल न छोड़ना पड़े।
बाल देखभाल संस्थानों के बच्चों के लिए विशेष संगरोध केंद्र स्थापित करना और यह सुनिश्चित करना कि बच्चों की पहुंच परिवार के सदस्यों,वकीलों, परामर्शदाताओं तक या तो कोविड प्रोटोकॉल को बनाए रखते हुए या टेलीफोन, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हो।

बाल कल्याण समितियां और किशोर न्याय बोर्ड की कार्यवाही डिजिटल माध्यम से होनी चाहिए। बजटीय सहायता सहित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए आवश्यक बुनियादी ढ़ांचा प्रदान किया जाना चाहिए।

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