in

लद्दाख में उपवास कर रहे सोनम वांगचुक

हिमवंती मीडिया /कुल्लु(रमेश कँवर)

पर्यावरण और संस्कृति को बचाने के लिए लद्दाख के शिक्षाविद और पर्यावरणविद सोनम वांगचुक पांच दिन का उपवास कर रहे हैं। आज उनके उपवास का चौथा दिन है। वे लद्दाख के माइनस तापमान में खुले आसमान के नीचे सो रहे है।    वांगचुक ने एक वीडियो संदेश में कहा, ”लद्दाख को, यहां के पहाड़, ग्लेशियर लोगों और संस्कृति को संविधान के अनुच्छेद244 के छठें अनुसूची के तहत संरक्षण देने के लिए मेरे पास भारत और भारत से बाहर के देशों से बहुत से लोगों के फोन आ रहे हैं। लोग पूछ रहे हैं कि वो इस आंदोलन में कैसे शामिल हो सकते हैं। ऐसे लोग  मेरे अनशन के अंतिम दिन जुड़ सकते हैं। इसमें लद्दाख के लोग भी जुड़ेंगे आप अपने-अपने शहरों, अपने-अपने घरों से, सामुदायिक स्थलों से, मंदिर से , मस्जिदों से और चर्चों से, गुरुद्वारों से इस उपवास में शामिल हो सकते हैं, ताकि हम अपने पहाड़ों, अपने ग्लेशियरों को संजो सकें, आपके शहर को , आपके जंगलों और आपके क्षेत्र के पहाड़ों को संरक्षित किया जा सके। ”

वांगचुक का कहना है कि यदि ग्लेशियरों की ठीक से देखभाल नहीं की गई तो लेह-लद्दाख के दो-तिहाई ग्लेशियर खत्‍म हो जाएंगे। रोकथाम के उपायों के बिना लद्दाख ने अस्थिर उद्योग, पर्यटन और वाणिज्य लद्दाख में पनपते रहेंगे और आखिरकार इस क्षेत्र को खत्म कर देंगे। वांगचुक का कहना है कि प्रशासन उनकी आवाज दबाना चाहती है। उनका कहना है कि उन्हें अपने संदेश को फैलाने और लोगों तक पहुंचने से रोकने के लिए लद्दाख प्रशासन एक बांड पर दस्तखत करने के लिए मजबूर करने की कोशिश कर रहा है। उन्‍होंने एक कॉपी भी ट्वीट की थी, इसके बारे में उनका दावा है कि यह वह बांड है जिस पर उन्‍हें उन्‍हें यह सुनिश्चित करने के लिए दस्‍तखत करने को कहा गया था कि वे एक माह तक कोई बयान नहीं देंगे या किसी सार्वजनिक बैठकों में भाग नहीं लेंगे। वांगचुक ने पहले खारदुंग ला दर्रा में उपवास की योजना बनाई थी। वहां तापमान -40 डिग्री सेल्यियस तक पहुंच जाता है। हालांकि जहां अभी वांगचुक का उपवास चल रहा है, वहां का तापमान भी करीब माइनस 20 डिग्री सेल्सियस है।

भारत जोड़ो यात्रा के समापन समारोह में मुख्यमंत्री ने लिया भाग

सीएम के दौरे पर किया जाएगा शिलान्यास