in

स्नो- फेस्टिवल के अंतर्गत पारम्परिक त्यौहार लोअर केलांग की गोची में आयोजित, उपायुक्त ने की शिरक़त

हिमवंती मीडिया/रमेश कँवर(कुल्लु) 
लाहौल स्पीति जिले में जहां फागली, हालडा, लोसर, कुन्स, जुकारु, गोची, पूना, योर जैसे प्रमुख त्यौहार हैं। यह सभी त्यौहार सर्दियों में ही मनाए जाते हैं और हर ज़िले में इनके मनाने का रिवाज अलग-अलग है। वहीं अब स्नो-फेस्टिवल के माध्यम से जिला के लाहौल की समस्त घाटियों  की सांस्कृतिक विधाओं को एक दूसरे से परिचित होने का अवसर मिल रहा है। यह बात उपायुक्त लाहौल-स्पीति नीरज कुमार ने स्नो फ़ेस्टिवल के अंतर्गत मनाए जा रहे लोअर -केलांग के गोची उत्सव के अवसर पर कही।
हिमाचल प्रदेश का लाहौल-स्पीति क्षेत्र  जो कि अटल-टनल के खुलने से पहले शेष विश्व से, साल में छः महीने कटा रहता था। भारी बर्फ़बारी के दौरान इस क्षेत्र के लोग अपने-अपने गावों में ही विभिन्न उत्सवों के माध्यम से अपना समय व्यतीत करते थे यह उत्सव लोकजीवन की  संस्कृति, मनोरंजन के साथ- साथ सामाजिक मेल-जोल का भी साधन था। उपायुक्त ने कहा कि लाहौल के सभी क्षत्रों में गोची उत्सव सम्पन्न हो गए हैं वहीं आज लोअर केलांग में गोची उत्सव मनाया  गया। हर वर्ष यह उत्सव बसन्त पञ्चमी के आसपास ही पड़ता है। गोची में सर्वप्रथम  सभी अतिथियों को भोजन करवाने के साथ पारम्परिक गीत तथा वाद्य का आयोजन किया जाता है। तत्पश्चात  सत्तू का शिवलिंग बनाकर पारम्परिक तरीक़े से पूजा की जाती है।
फिर सभी लोग उस शिवलिंग को उठाकर केलांग में सैंकड़ों वर्ष पुराने देवीदियार के पवित्र पेड़ के पास लाया जाता है। जिस-जिस घर में गोची होती है वे सभी वहां एकत्रित होते हैं। मान्यता है कि यहां देवता के पुजारी द्वारा तीरंदाज़ी करके आने वाले वर्ष में गांव में किस जगह पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी, ऐसी भविष्यवाणी की जाती है।
पुत्र प्राप्ति के अवसर पर गोची का आयोजन किया जाता है। इस बार लोअर केलांग में रवि टेशकयोंगपा तथा नितिन मुरुपशी के घर पुत्र रत्न की प्राप्ति पर गोची का आयोजन किया गया था। उपायुक्त ने  इस अवसर पर उन्हें बधाई  दी।
उपायुक्त ने जानकारी दी कि स्नो -फेस्टिवल के अंतर्गत इन उत्सवों को लाने का उद्देश्य यही है कि इनकी जानकारी देश-दुनिया को मिले तथा हम इन सांस्कृतिक परम्पराओं को सहेजकर रखें।
इस अवसर पर सहायक आयुक्त रोहित शर्मा भी उपस्थित रहे।

राज्यपाल ने पारम्परिक औषधीय उत्पादों के संरक्षण एवं शोध की आवश्यकता पर दिया बल

शिक्षामंत्री और डीसी से मिला भूमिहीन प्रतिनिधिमंडल