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सड़कों पर गौधन फाइलों में दफन होकर रह गई गौवंश को आश्रय देने की योजना

हिमवंती मीडिया/ कुल्लु (रमेश कँवर)

कुल्लू जिला में बेसहरा पशुओं के लिए पंचायत स्तर पर गौ सदन बनाने की घोषणा जमींनी स्तर पर फाईलों तक ही दबकर रह गई है। भारी बारिश और बर्फवारी के बीच सडकों पर घूम रहे बेसहारा पशुओं की हालत खराब हो रही है। किसान-बागवान इनकी बढती संख्या से परेशान है।

मनाली, कुल्लू, बंजार, आनी और निरमंड विकास खंड में सैंकडों बेसहारा पशु सडकों पर बेमौत मर रहे है। जिला में इस समय चार सरकारी गौसदन सहित दस गौसदन चल रहे है। साढे 13 सौ क्षमता वाले इन गौसदनों में 14 सौ बेसहरा पशु पल रहे है। लेकिन यह व्यवस्था नाकाफी साबित हो रही है। आंकड़े बताते हैं कि जिला में बेसहरा गोवंश की संख्या छह हजार के पार पहुंच चुकी है। बंजार, दलाश, कुल्लू, गडसा, सैंज, पतलीकुहल, निरमंड सहित कई कस्बों और गांव में गोवंश लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है।

हाईकोर्ट ने लिया है कड़ा संज्ञान

बेसहारा पशुओं की बढ़ती संख्या और किसानों की फसलों को हो रहे नुकसान पर हाईकोर्ट ने भी कड़ा संज्ञान लिया था। कोर्ट ने वर्ष 2015 में प्रत्येक पंचायत में गौसदन खोलने के लिए प्रदेश सरकार को निर्देश दिए थे। जिस पर काम भी शुरू हुआ लेकिन बजट के अभाव और अन्य खामियों के चलते योजना सिरे नहीं चढ़ पाई। किसान अब भी पहले की तरह परेशान हैं और समस्या से निजात पाने के लिए सरकार से आस लगाए हुए हैं। जिला में कुल 232 पंचायतें हैं। चनौन पंचायत में एक गौसदन बना है। लेकिन इस गौसदन में एक भी पशु को नही रखा गया है।

राम की नगरी में तडफ रही है गौमाता

कुल्लू के देवसमाज में गाय का खासा महत्व है। घरों और देवालयों की शुद्वी के लिए गौमुत्र और गोबर का उपयोग किया जाता है। बदलते दौर में गायों की बेकद्री हो रही है। रघूनाथ की नगरी कुल्लू शहर में ही सैंकडों गाय सडक पर है। पिछले डेढ़ साल में गायों की कीमत भी गिरी है। पहले दुधारू गाय की कीमत 25 से 35 हजार रुपये थी। लेकिन अब सिर्फ 15 हजार कीमत रह गई है। देवभूमि में पशु खुले में छोड़ दिए जा रहे हैं और सर्दी के मौसम में दर्दनाक मौत मर रहे है।

न पर्याप्त चारा है और न ही छत नसीब

ग्रामीण कहते हैं कि सडकों के किनारे बेसहारा पशुओं की भरमार है। बीती सर्दी में कई पशु ठंड से मर चुके है। इस बार भी इन पर मौसम की मार पड रही है। बेसहारा पशुओं की स्थिति दयनीय बनी हुई है। सड़कों पर पशु दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं। स्वास्थ्य की स्थिति भी गंभीर बनी हुई है। खाने के लिए उन्हें पर्यात चारा नही है और न ही छत नसीब है।

जनता की भूमिका सुनिश्चित करना जरूरी

जिला परिषद कुल्लू की पूर्व अध्यक्ष रोहिणी चौधरी कहती है कि आए दिन बेसहारा पशु के स्थायी इंतजाम करने के लिए पंचायतें प्रशासन का सहयोग कर रही है। सड़कों पर गौवंश घूमने से रोकने संबंधी आदेशों को प्रभावी रूप से अमल में लाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गौसदन के निर्माण के लिए पंचायत के पास अपनी भूमि होने की शर्त को हटा दिया जाना चाहिए।

क्या कहते हैं समाजसेवी

समाजसेवी दौलत भारती कहते हैं कि जनसहभागिता तय किए बिना गौसदन चलाना और पशुओं को बेसहारा छोडने से रोकना संभव नही है। सरकार को इस समस्या का हल निकालने के लिए जनता की भूमिका भी सुनिश्चित करनी होगी। समाजसेवी संस्था को इसके लिए आगे आना होगा और सरकार गौ सदन के लिए औपचारिकताओं की शर्तें और नियम संस्था के हित में बनाने होंगे।

क्या कहते हैं प्रशासनिक अधिकारी

डीसी कुल्लू आशुतोष गर्ग कहते हैं कि वर्तमान में संचालित गोशालाओं के अलावा आश्रय स्थलों के निर्माण पर बल दिया जा रहा है। किसानों को भी इससे बड़ी राहत मिलेगी। गांवों में खेतों को उजाड़ रहे और शहरों में गंदा कूड़ा खाने को मजबूर गोवंश के लिए सुरक्षित स्थान ढूंढने के लिए प्रशासन ने काम शुरू कर दिया है।

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