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हाईकोर्ट पंहुचा प्रस्तावित ट्रांसगिरी जनजाति मामला, गृह मंत्रालय से रिपोर्ट तलब

हिमवंती मीडिया/शिलाई (सुंदर चौहान)

प्रस्तावित ट्रांसगिरी जनजाति मामला हाईकोर्ट पंहुच गया है। अनुसूचित जाति संरक्षण समिति की याचिका पर प्रदेश उच्च न्यायलय ने केन्द्रीय गृह मंत्रालय से रिपोर्ट तलब की है। समिति की मांग है कि, जनजाति दर्जा मिलने पर एट्रोसिटी एक्ट बहाल रहना चाहिए ताकि जातिय आधार पर होने वाले अत्याचार को रोका जा सके। बताते चलें हाल ही में केन्द्र सरकार ने ट्रांसगिरी क्षेत्र की हाटी को जाति के तौर पर पंजीकृत किया है। ट्रांसगिरी में इस जाती के अधीन आने वाले लोगो की संख्या तीन लाख है जिसमें 40%आबादी अनुसूचित जातियों की है। हाटी जाति के लोग पिछले साठ साल से जनजाति दर्जा देने की मांग कर रहे है। हाल ही में जनजाति मंत्रालय ने केन्द्र सरकार को इस जाति को जनजाति दर्जा देने की सिफारिश की है। हाटी को जनजाति दर्जा मिलने से ट्रांसगिरी में रह रहे अनुसूचित जाति के लोगो को असुरक्षित होने का डर सताने लग रहा है। उनका कहना है,अगर यह क्षेत्र जनजाति घोषित होता है तो एट्रोसिटी एक्ट और पंचायत स्तर पर मिलने वाला उनका आरक्षण खत्म हो जाऐगा। जिसके बाद स्वर्ण लोग उनको आगे नही आने देगे।

एससी समाज के लोगो का कहना है अगर यह क्षेत्र जनजाति बनता है तो कानूनी तौर पर तो सभी लोग एक सम्मान हो जाऐगे,लेकिन जातिवाद वाला भेदभाव बरकरार रहेगा, जबकि इस क्षेत्र में जातिवाद सबसे बड़ा मुददा है। यहां पर अनुसूचित जाति के लोगो के साथ सबसे ज्यादा जातिय दुर्व्यवहार होता है। एट्रोसिटी एक्ट के तहत जिले मे जितने भी मामले दर्ज होते है उनमे से 80फीसद इसी क्षेत्र के होते है। एससी समाज के लोगो का कहना है कि उनको मंदिर में नही जाने दिया जाता है। शादी समारोह में अलग से खाना परोसा जाता है, उनके हाथ का खाना खाने से परहेज किया जाता है। इतना ही नही कभी कभार अनुसूचित जाति के खिलाफ खुमलीयां(कंगारू कोर्ट) बिठाई जाती है जिसमे बहिष्कार सरीखे एकतरफा फैसले किए जाते है। दलित सरंक्षण समिति का कहना है कि इन अत्याचारो से बचने के लिए ही वो एट्रोसिटी एक्ट का सहारा लेते है। अगर यह एक्ट खत्म हो जाता है तो उनके खिलाफ अत्याचार बढेगे,उनकी मांग है कि यह क्षेत्र जनजाति बने हमारा कोई एतराज नही है, उनकी आपति एट्रोसिटी एक्ट को लेकर है, वो एक्ट बाद मे भी बरकरार रहना चाहिए। नही तो वो सरकार का विरोध करेगे, प्रदेश स्तर पर सरकार के खिलाफ रेलीयां प्रर्दशन करेगे, इतना ही नही संगठन के माध्यम से केन्द्र और प्रदेश सरकार का विरोध भी करेगे। अनुसूचित जाति संरक्षण समिति के अध्यक्ष अनिल मंगेट का कहना है हमने मामला प्रदेश उच्च न्यायालय मे उठाया है और इसमें हस्तक्षेप की मांग की है कोर्ट ने उनकी मांग पर सुनवाई शुरू कर दी है।

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