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तेज तर्रार कांग्रेसी नेता असगर अली

हिमाचल के शेर मशहूर क्रांतिकारी शेरजंग की जन्मस्थली हरिपुरखोल मूल निवासी असगर अली का जन्म 15 जुलाई 1963 को पांवटा साहिब में हुआ था। इनके पिता मरहूम मोहम्मद इस्माईल हकीम थे। इनके दो बड़े भाई रफीक अहमद और अकबर अली हैं वही एकमात्र बहन रफीकन उत्तराखंड के सहसपुर में ब्याही हैं। इनकी माता का नाम श्रीमती खातून है।
असगर की शिक्षा पांवटा के सरकारी स्कूल से शुरू हुई और 10वीं कक्षा करने के बाद इन्होंने पढ़ाई छोड़ दी। शुरू से ही इनका परिवार कांग्रेसी रहा है और इनकी राजनीति में काफी रूचि थी। इसलिए इन्होंने 1980में ही कांग्रेस प्रत्याशी हिमाचल प्रदेश निर्माता यशवन्त सिंह परमार के सुपुत्र कुश परमार के चुनाव में कांग्रेसी कार्यकर्ता के रूप में पार्टी के लिए काम किया तथा युवा कांग्रेस मंडल में सह सचिव रहे। उस समय कांग्रेस के मंडल प्रधान जसवन्त राय खुराना थे। 1994 में इन्हें कार्यकारी ब्लॉक अध्यक्ष बनाया गया और फिर जिले में युवा कांग्रेस में सहसचिव/सचिव का पद भी सौंपा गया। मंडल कांग्रेस में यह दो बार महासचिव तथा एक बार वाईस उप प्रधान तथा कोषाध्यक्ष पद पर भी रहे। इनकी छवि एक तेज तर्रार कांग्रेसी नेता की रही है और इनके जुझारूपन के लिए ही वर्ष 2015 में इन्हें पुनः शहर कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया। जिस पद पर यह आज भी जमे हुए हैं।
अपने आदर्श राजनेता स्वर्गीय राजीव गांधी तथा हिमाचल में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे सुखविन्द्र सिंह सुक्खु को मानते हैं। आदर्श महिला का दर्जा अपनी माता को देते हैं। इन्हें अपना पूरा परिवार ही प्रिय है जबकि इन्हें अपनी माता व बहन से सबसे अधिक स्नेह मिला है।
इनका विवाह अक्टूबर 1997 में उत्तर प्रदेश के बिहारीगढ़ निवासी सहिबा से हुआ जो पांवटा में ही लेडिज़ गारमेंट्स की दुकान देखती हैं। इनकी 4 सन्तानें हैं दो बेटी व दो बेटे हैं। सबसे बड़ी संतान बेटी गुरू गोविन्द सिंह महाविद्यालय में प्रथम वर्ष की कामर्स की छात्रा है वहीं छोटी बेटी प्रवीन गुरू नानक मिशल स्कूल में कक्षा 9 की छात्रा है। बड़ा बेटा आमान गुरूनानक मिशन स्कूल में ही कक्षा 10 का छात्र है तथा सबसे छोटा अरमान गुरू नानक मिशन स्कूल में ही कक्षा 6 का छात्र है। खेलों में इनकी कभी रूचि नहीं रही लेकिन फिल्म अभिनेता दलीप कुमार व अभिनेत्री वेजयन्ती माला को पसन्द करते हैं। अपनी युवावस्था में इन्हें फिल्मों का बड़ा शौक था और मधुमती नाम फिल्म इन्होंने कई बार देखी। नील कमल फिल्म का गाना ”तुझको पुकारे मेरा प्यार“ इनका सबसे पसन्दीदा गाना है जिसे यह अक्सर तन्हाई में गुनगुनाते भी रहते हैं।
अपने जीवन का सबसे सुखद दिन अपनी बड़ी बेटी के जन्म वाले दिन को मानते हैं वहीं दुःखद दिन अपने पिता की मृत्यु वाले दिन को मानते हैं। इन्हें किसी भी तरह का कोई शौक नहीं है, केवल राजनीति ही इनका पसन्दीदा शौक है और इसी में संलिप्त रहना इन्हें खूब भाता है। हर दिन को अच्छी तरह जीना इनकी दिनचर्या में शामिल है। राजनेताओं में केन्द्र स्तर पर सोनिया गांधी, आनन्द शर्मा, मोती लाल वोहरा तथा राज्य स्तर पर मुख्यमंत्री रहे राजा वीरभद्र सिंह, ठाकुर राम लाल, ठाकुर कौल सिंह, विद्या स्टोक्स सरीखे नेता इनके पसन्दीदा रहे हैं। कुछ वर्ष पहले तक इन्हें हिमाचल की राजनीति में राजा वीरभद्र सिंह सबसे अधिक पसन्द थे लेकिन अब ठाकुर कौल सिंह, विद्या स्टोक्स व सुखविन्द्र सिंह सुक्खु इनकी पहली पसन्द हैं। राजनीति में तो इनकी सदा ही रूचि रही है लेकिन कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा और इनकी विधायक बनने की कभी चाह नहीं रही। इनका कहना है कि वह तो इसी बात से संतुष्ट रहे कि एक कार्यकर्ता के रूप में इन्होंने जब कांग्रेस प्रत्याशी का साथ दिया और वह चुनाव जीत गया तो इन्हें पूर्ण संतुष्टि हुई।
बच्चों को क्या बनाना चाहते हैं? इस सवाल के जवाब में हंसकर तुरन्त कहते हैं कि एक बेटा तो राजनीति में आए और दूसरा कारोबारी बने तथा बेटियां अपने-अपने परिवारों के साथ सुखपूर्वक जीवन बिताएं। इनकी पत्नी दुकान चलाती हैं वहीं इन्हें किराये की आमदनी है। सीमित आय से ही यह पूरी तरह खुश हैं तथा इनका कहना है कि ईमानदारी से दो रोटी कमाना ही इनका ध्येय रहा है।
सरदार रतन सिंह जब -जब विधायक बने तब- तब उनका कार्यकाल इन्हें बहुत अच्छा लगा वहीं ठाकुर सुखविन्द्र सिंह जब प्रदेश अध्यक्ष बने तो उस कार्यकाल में भी कांग्रेस की सेवा करने में इन्हें खूब आनन्द प्राप्त हुआ। बचपन के मित्रों में नवजोत सिंह पप्पी जो आजकल अमेरिका में रहते हैं तथा जय प्रकाश शर्मा, तपेन्द्र सिंह व यादवेन्द्र अरोड़ा को मानते हैं। आदर्श शिक्षक का दर्जा उर्दू व गणित के अध्यापक तीर्थ राम जी को देते हैं। बचपन में यह काफी शरारती थे इसलिए पिता जी से अनेकों बार पिटाई भी हुई जबकि माता ने इन्हें कभी नहीं मारा। इनके पिता एक कठोर स्वभाव के व्यक्ति थे, उनके घूरने से ही यह डर जाते थे। पत्नी से इनके बड़े मधुर सम्बन्ध हैं लेकिन छोटी मोटी नोकझोंक होती ही रहती है। खाने में इन्हें शाकाहारी व मांसाहारी दोनों ही तरह के व्यंजन पसन्द हैं। लेकिन मांसाहारी व्यंजन यदाकदा ही खाते हैं। फेसबुक पर छाए रहना इन्हें काफी अच्छा लगता है और फेसबुक के माध्यम से अपने मित्रों व कांग्रेसी सहयोगियें के साथ निरन्तर सम्पर्क में रहते हैं।

युवराज

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