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बागी उम्मीदवार के तौर पर अपना भाग्य आजमा रही हैं श्रीमती दयाल प्यारी

हिमाचल प्रदेश में विधानसभा के उपचुनाव में एक नाम ऐसा है, जो फिलहाल, भाजपा के लिए सिरदर्द बना हुआ है। धर्मशाला और पच्छाद सीटों पर जीत का दावा ठोकने वाली भाजपा के लिए अपनी ही पार्टी की महिला नेता मुश्किल पैदा कर रही हैं। यह महिला नेता है सिरमौर से दयाल प्यारी। पच्छाद सीट से नामांकन दाखिल करने वाली दयाल प्यारी को लेकर भाजपा में घमासान मचा हुआ है।
दयाल प्यारी सिरमौर जिले के पच्छाद की डीलमन पंचायत के कुजी गांव की रहने वाली है। दयाल प्यारी लगातार तीसरी जिला परिषद की सदस्य बनी हैं। इस बार वह बाग पशोग से जिला परिषद की सदस्य हैं, जबकि इससे पहले दो बार नारग वार्ड से चुनी गई थी। दयाल प्यारी जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी तब जिला परिषद की चेयररपर्सन भी रह चुकी हैं. यही नहीं इलाके की दो दर्जन से अधिक पंचायतों में दयाल प्यारी का प्रभाव है।
लोकसभा चुनाव से पहले भी दयाल प्यारी चर्चा में रही थी। दरअसल, हिमाचल के सीएम जयराम ठाकुर का सिरमौर में एक कार्यक्रम था।कार्यक्रम के दौरान दयाल प्यारी के अलावा कुछ अन्य भाजपा नेता भी मंच पर मौजूद थे। इस दौरान एक भाजपा नेता ने उनके धक्का मारते हुए दूसरी तरफ धकेल दिया। इस घटना का वीडियो जमकर वायरल हुआ था। इसके बाद दयाल प्यारी ने एससी-एसटी एक्ट के तहत भाजपा नेता के खिलाफ मामला भी दर्ज करवाया था.। इस दौरान दयाल प्यारी खासी चर्चा में रही थी।
सिरमौर की पच्छाद विधानसभा सीट के लिए दयाल प्यारी भी टिकट के दावेदारों की रेस में थी. उनका नाम हाईकमान को भेजा गया था, लेकिन अंत में भाजपा ने रीना कश्यप को पच्छाद से टिकट दिया. इसके बाद दयाल प्यारी ने बगावत कर दी और निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान करते हुए नामांकन दाखिल किया।
अपने कुलदेवता भूरेश्वर महादेव के मंदिर में माथा टेकने के बाद दयाल प्यारी ने अपना चुनाव प्रचार अभियान भी शुरू कर दिया। दयाल प्यारी के नामांकन पत्र वापस लेने की भी अटकलें चल रही थीं। लेकिन, सोलन में हुए हाई वोल्टेज ड्रामे के बाद वह सीधा चुनाव प्रचार में जुट गईं। नामांकन पत्र वापस लेने को लेकर उसकी सीएम से भी बातचीत हुई थी। दयाल प्यारी के निर्दलीय मैदान में उतरने के बाद पार्टी हाईकमान ने उन्हें छह वर्ष के लिए पार्टी की सदस्यता से निष्कासित कर दिया है।
दयाल प्यारी एक जुझारू महिला की छवि रखती हैं और राजनीति के दांवपेंच भी वह अच्छे से समझती हैं और शायद इसीलिए उनके चुनावी मैदान में उतरने से अन्य उम्मीदवारों की मुश्किलें बढ़ती नज़र आ रही हैं।
पार्टी से निष्काशित करने के बाद लोगो का उनके प्रति भावनात्मक रूझान बढ़ गया है, वह जहां भी जा रही है उनको जनता का साथ मिल रहा है। इधर दयाल प्यारी को मिल रहे जन सहयोग से भाजपा परेशानी मे पड़ गई है। भाजपा आला कमान को यह डर सता रहा है अगर दयाल प्यारी की तरफ जनता का रूझान बढा तो उनकी सीट खतरे मे पड़ सकती है। जिसके चलते भाजपा ने अपने सभी नेता चुनाव प्रचार में झोंक दिए है। दोनो दलो के रूष्ट वोटरो पर दयाल प्यारी विसात बिठाए हुए है। दयाल प्यारी की 15 पंचायतो मे जबरदस्त पकड़ है जहां से वह जिला परिषद सदस्य है। देखना दिलचस्प होगा की जनता तिकड़ी मे किसके सर ताज सजाती है।

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