in

क्या घातक कोरोना प्रोटोकाल से परे हैं सरकार के सांसद व अफसर-अभिषेक राणा

हमीरपुर ( प्रे.वि )
अपने तर्कों से कांग्रेस की राजनीति को मुख्य धारा में रख कर आम जनता के मुद्दों पर निरंतर मुखर रखने वाले कांग्रेस सोशल मीडिया के चेयरमैन अभिषेक राणा ने जारी प्रेस बयान में कहा है कि संकटकाल में इस सरकार के व्यवहार को जनता याद रखेगी। युवा नेता अभिषेक ने कहा कि जब सत्ता व सरकार की जनता को सबसे ज्यादा जरूरत है, ऐसे समय में सरकार अपने सांसदों व अफसरों की सुख-सुविधाओं का ख्याल करने में लगी है। अभिषेक बोले कि प्रदेश भर से ब्लाक स्तर से सोशल मीडिया से मिली फीडबैक बता रही है कि राष्ट्रीय आपदा के दौर में भी बीजेपी की सत्ता अपनों की पैरवी करने में लगी है। जहां कर्फ्यू पासों से लेकर राहत सामग्री में भी पक्षपात किया जा रहा है। 40 दिन के लाकडाउन में जहां प्रदेश के बाहर फंसा कामगार तबका हाल-बेहाल हो चुका है और घर पहुंचने के तनाव में दिल्ली, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, जम्मु कश्मीर से पैदल ही घरों की ओर चल पड़ा है। वहीं सरकार इस तबके की जरुरत व परेशानी को नजर अंदाज करते हुए अब इस दौर में भी अपनों की पैरवी करने में लगी हुई है। बेहद परेशानी के दौर में जब लॉकडाउन के कारण लाखों लोग अपने घर नहीं पहुंच पाए हैं, नौकरी उनकी छूट गई है, खर्चा उनका खत्म हो गया है। मकान मालिक उनसे लगातार किराए का तकाजा कर रहे हैं। ऐसे में सरकार इन लाखों लोगों की परेशानी को लगातार नजर अंदाज कर रही है। जबकि सत्ता के उन्माद में सांसद व अफसर कोरोना प्रोटोकाल को लात मारकर प्रदेश में आ धमके हैं। अभिषेक ने सरकार से पूछा है कि तमाम सुख-सुविधाओं के होते हुए सासंदों व अफसरों के बच्चों को परिवार के बिना सरकारी बंगलों में रहने की मुश्किल हो रही है तो उस आम आदमी पर क्या बीत रही है जो बिना किसी मदद व सुविधा के प्रदेश सरकार की राह देख रहा है।राणा ने चेतावनी देते हुए कहा है कि इससे पहले कि हालात विस्फोटक हों व फंसे हुए लोगों व उनके परिवारों का आक्रोश ज्वालामुखी बनकर फूटे, सरकार लोगों को घर लाने का कोई इंतजाम करे। क्योंकि बाहर फंसे लोग न तो घुसपैठिए हैं न ही आतंकवादी हैं। वह सिर्फ अपने घर आना चाहते हैं। ऐसे में सरकार यह न भूले कि जिस पावर के तहत इन लोगों को जबरन प्रदेश के बाहर रोका गया है। वह पावर भी इन्हीं लोगों व इनके परिवारों की दी हुई है। अगर सरकार को कोरोना प्रोटोकाल का इतना ही ख्याल है तो इन लोगों को घरों में लाकर भी क्वारिंटाइन किया जा सकता है। अगर सांसद घर में क्वारिंटाइन हो सकते हैं तो फिर सांसदों को सांसद बनाने वाले क्यों नहीं?

दवाइयों की दुकानों/स्टोर, चिकित्सा उपकरण तथा हैंड सैनिटाइजर/मास्क उत्पादन इकाइयों को खोलने की छूट

जिला प्रशासन ने फ्रंटलाईन स्टाफ को सभी सुरक्षात्मक उपकरण करवाए उपलब्ध- डा0 परूथी