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समाज के दबे-कुचलों की मदद करना पसन्द करते हैं मधुकर डोगरी

शिव सेना में अपनी एक अच्छी पैठ बनाने वालेमधुकर डोगरी का साक्षात्कार लेने के दौरान उन्होंने बताया कि उनका झुकाव शिवसेना में तब हुआ जब उन्होंने बाला साहेब ठाकरे को हिन्दुत्व के प्रति ओत-प्रोत देखा। यही नहीं 1992 में देहरादरून काॅलेज समय में पढ़ने के दौरान तब वहाॅं भी उत्तर भारत प्रमुख जय भगवान गोयल के विचारों को सुनकर इनका झुकाव शिवसेना की ओर हुआ। शिवसेना में इनकी योग्यता को देखकर शिव सैनिक के तौर पर इन्हें जिला सचिव बनाया गया। इन्होंने इस पद पर रहते हुए शिव सेना का विस्तार किया और इनके कार्य की योग्यता को देखते हुए इन्हें वर्ष 1996 में जिला प्रमुख बनाया गया। उसके बाद कुछ दिन प्रदेश प्रमुख भी रहे और शिव सेना को प्रदेश में मज़बूत करने के लिए इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। समाज के किसी भी दबे- कुचले व्यक्ति की मदद करना इनकी आदतों में शुमार है। वर्ष 2007 से 2010 तक प्रदेश शिवसेना प्रमुख बने लेकिन बाद में किसी कारणवश मनमुटाव के कारण इन्होंने उस पद से त्याग पत्र दे दिया और समाज सेवा के कार्य में जुट गए। लगातार 2 बार वार्ड न. 9 और वार्ड न. 10 से पार्षद भी रह चुके हैं। इनकी पत्नी भी वार्ड नं. 10 से 2 बार पार्षद रही है और वर्तमान में भी पार्षद पद को सुशोभित कर रही हैं।
शिव सेना की तरफ से मधुकर ने अनुसूचित जाति की राजरानी को पार्षद बनाने में सफलता पाई है। यही नहीं मधुकर ने नगर पालिका अध्यक्ष पद का भी चुनाव लड़ा और 2338 मत प्राप्त कर वर्ष 2013 में अपने दूसरे स्थान पर रहे जबकि कांग्रेस व भाजपा के दुरन्दर भी मैदान में थे।
मधुकर डोगरी जहाॅं दबे कुचले लोगों के साथी हैं वहीं धार्मिक कार्यों में भी इनकी काफी रूचि है। ऐतिहासिक पातालेश्वर महादेव मन्दिर जहाॅं हर वर्ष भारी हुजुम इक्ट्ठा होता है वहाॅं इनकी टीम पूरे उत्साह से सारी व्यवस्था करते हैं और इस धार्मिक कार्य में यह स्वयं व इनकी टीम 1995 से जनसेवा का यह कार्य करती आ रही है। यही नहीं पांवटा क्षेत्र में जितने भी धार्मिक आयोजन किये जाते हैं उन सभी में इनकी टीम अपनी उपस्थिति दर्ज कराना नहीं भूलती।
खेलों में भी इनका दिल से जुड़ाव है और पिछले 22 वर्षों से लगातार यह बाला साहेब ठाकरे व सुभाषचन्द्र बोस के जन्म दिवस पर क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन करती आ रही है जिसमें पूरे देश के 5 राज्यों के टीमें भाग लेती है जिसमें हमारे पूरे जिले से भी काफी टीमें आती हैं। मधुकर ने बताया कि इस प्रतियोगिता में लगभग 42 टीमें बाहर से आती हैं जिसका एक तरफ का किराया और खाना-रहना इनका क्लब स्वयं वहन करता है। खिलाड़ियों को गेंद भी इनका स्वयं ही उपलब्ध कराता है। हर वर्ष लाखों की राशि इस कार्यक्रम में खर्च की जाती है तथा यह प्रतियोगिता पूरे 1 महीने तक चलती है। जिसमें शिवाजी स्पोर्ट्स क्लब के सदस्यों एवं मित्रगणों का सहयोग भी इन्हें पूरा मिलता है। इन्हें सबसे अधिक प्रभावित देहरादून की स्पोट्र्स होटल टीम ने प्रभावित किया जो पिछले 16 साल से लगातार यहाॅं खेलती आ रही है। मधुकर ने बताया कि उत्तराखंड में जो अभी हाल में रणजी ट्राफी के लिए चयनित हुएहैं उनमें से 6 खिलाड़ी शिवाजी स्पोर्ट्स क्लब की प्रतिस्पर्धाओं में भी खेल चुके हैं। खिलाड़ियों में यह गुरविन्द्र सिंह टोली को पसन्द करते हैं जो रणजी प्लेयर है और शिवाजी स्पोर्ट्स क्लब उत्तर भारत से भी खेलता रहा है तथा वह पांवटा तहसील के अन्तर्गत आने वाले बहराल गांव का निवासी है। यही नहीं वर्तमान में मधुकर डोगरी की टीम के तीन खिलाड़ी गौतम गंभीर के कोच रहे संजय भारद्वाज से दिल्ली में कोंचिग भी ले रहे हैं। मधुकर को खेलों में विराट कोहली पसन्द हैं जिसे यह सचिन तेंदुलकर से भी कम नहीं मानते।
मधुकर का जन्म 15 मार्च 1971 को जिला टिहरी गढ़वाल के ज़ियालगढ़ में हुआ। इनके पिता स्व. गुणानंद शास्त्री थे तथा बातामंडी से संस्कृत अध्यापक के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। माता स्व. श्रीमती कांदम्बरी देवी एक सीधी सादी गृहिणी हैं। इनकी दो बहने व 2 भाई हैं। बहनें में दोंनों बहने आभा पांडे देहरादून में तथा विभा नाथानी हरबर्टपुर में ब्याही हैं तथा अपना -अपना वैवाहिक सुखपूर्वक बिता रही हैं। भाईयों में दोनों भाई बड़े हैं जिनमें सबसे बड़े दिनेश कुमार विज्ञान अध्यापक के पद पर भांटावाली में सेवारत हैं तथा दूसरे रजनीकर शर्मा का रेडिमेट गारमेंट्स का अपना व्यवसाय है।
इनकी प्रारम्भिक शिक्षा राजकीय प्राथमिक पाठशाला पांवटा साहिब से शुरू हुई जहाॅं से1 से 5वीं तक की शिक्षा ग्रहण की और फिर कक्षा 6वीं से 12वीं तक इन्होंने सीनियर सेंकेंडरी स्कूल तारूवाला से शिक्षा ग्रहण की और स्नातक की डिग्री इन्होंने डीएवी काॅलेज देहरादून से प्राप्त की। उसके बाद इन्होंने स्कूली शिक्षा के दौरान राष्ट्रीय स्तर तक हाॅकी की खेला और फिर जिला स्तर तक अंडर-19 में ओपन क्रिकेट खेल भी खेलते रहे और जिला सिरमौर का नेतृत्व भी किया। अपने जीवन में आदर्श पुरूष का दर्जा यह अपने पिता जी को देते हैं वहीं महिलाओं में इनकी आदर्श इनकी माता जी हैं। जहाॅं परिवार से इन्हें सबसे अधिक स्नेह मिला है वहीं स्वयं भी यह अपने परिवार से ही सबसे अधिक स्नेह करते हैं। इसके साथ ही शिवसेना के सभी सदस्यों से भी इन्हें बेहद स्नेह मिलता है।
आदर्श शिक्षक का दर्जा यह प्राइमरी स्कूल की शिक्षिका तृप्ता मैडम, सुखदेव भारद्वाज तथा कांता मैडम को देते हैं। मित्रमंडली में यह मेरठ के सहायक अभियन्ता बीएसएनएल संजीव मलिक, शम्मी,अरविन्द्र शाह, रशविन्द्र शाह, गुरविन्द्र शामिल हैं। राजनीतिज्ञों में अटल बिहारी वाजपेयी तथा बाला साहेब ठाकरे को पसन्द करते हैं।
मधुकर का विवाह 17 फरवरी 2002 को कैथल निवासी स्व. शशि प्रसाद काला कह सुशिक्षित पुत्री रेणु सेे हुआ जिनसे इनके जीवन बहार में 2 बेटियाॅं प्रत्यक्षा, औ प्रज्ञा आई प्रत्यक्षा अभी कक्षा10वीं की गुरू नानक मिशन पब्लिक स्कूल की छात्रा में है तथा प्रज्ञा अभी कक्षा 4 की छात्रा हूॅं। यह अपनी बड़ी बेटी को प्रशासनिक अधिकारी बनाना चाहते हैं तो दूसरी शिक्षिका बनने की इच्छा रखती है।
इनके जीवन का सबसे अधिक खुशी का दिन इनका पहला चुनाव जीतना था और दुःखद क्षण यह अपनी माता जी के स्वर्गवास होने वाले दिन को मानते हैं। डोगरी को यदि गूंगे बहरे अधिकारियों तक अपनी बात पहुॅंचने के लिए धरने प्रदर्शन भी करने पड़े तो वह इससे भी पीछे नहीं हटते। दोबार शिव सेना के गठन के बाद अब समाज में फैले भ्रष्टाचार व अधिकारियों को गरीबों के काम न करने की दशा के लिए शिव सेना के बैनर तले युवाओं को इट्ठा करने में लगे हैं।
मधुकर ने अपने साक्षात्कार में यह भी रहस्योद्घाटन किया कि पूर्व में भी शिव सेना ने मुस्लिम नवयुवकों को जोड़ चुके हैं और भविष्य में भी 50 से अधिक नवयुवक शिव सेना में आने को तत्पर हैं। इनका तो यह भी कहना है कि शिवसेना में धर्म जाति का कोई बंधन नहीं है लेकिन सच्चा भारतीय होना आवश्यक है। खाने में इन्हें चकरोता के राजमा चावल और उड़द की दाल की पकौड़ी पसन्द है।

चोर-चोर मोसैरे भाई

वान्या