in

राजनीति में विशेष रूचि रखते हैं ओमप्रकाश (अध्यक्ष किसान सभा पांवटा)

आज हम आपको एक ऐसे चेहरे से रू -ब -रू करवाएंगे जो गरीबी से उठकर जिला के उच्च पद तक पहॅुंचे। पांवटा साहिब किसान सभा के अध्यक्ष ओम प्रकाश एक ऐसा चेहरा है जो गरीब किसान के घर में पैदा हुए। इनका जन्म पांवटा से करीब आठ किलोमीटर दूर कांशीपुर गांव में 1946 को बेलीराम व माता सरस्वती के घर हुआ। वर्तमान में ओमप्रकाश पांवटा साहिब किसान सभा के अध्यक्ष है। पंद्रह साल पहले यह शिक्षा विभाग से सहायक जिला खेल अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए है। इन्हें बचपन से ही समाज सेवा के साथ साथ पढाई लिखाई के काम का जज्बा था। इनके पिता गांव के एक जाने माने किसान थे । वह ओमप्रकाश को भी खेती -बाड़ी करवाना चाहते थे लेकिन ओमप्रकाश को पढने लिखने का शौक था। मात्र 6 वर्ष की आयु में इनके पिता ने इनका दाखिला साथ लगते अजौली स्कूल में करवा दिया, जहॉं से पांचवी की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की। जबकि इनके पिता इन्हें आगे नही पढ़ाना चाहते थे चूंकि उन्हें डर था कि यदि ओमप्रकाश अधिक पढ़ लिख गया तो खेतीबाड़ी कौन करेगा । उनकी पुश्तैनी जमीन बंजर हो जाएगी और उनके आगे खाने पीने का संकट पैदा हो जाएगा। यह वह दौर था जब लोग खेतीबाड़ी पर ही निर्भर हुआ करते थे । रोजगार के साधन नही होते थे । पिता को लगता था ओमप्रकाश भी वही काम करे ताकि उनकी विरासत चलती रहे लेकिन ओम प्रकाश का मन पढाई पर ही था इसी बात को लेकर पिता पुत्र में आए दिन झगड़ा रहता था लेकिन ओमप्रकाश अपने लक्ष्य पर अडिग रहे । यह आजादी के समय की बात है तब देश में ब्रितानी हुकुमत हुआ करती थी। उनकी शिक्षा बहुत ही कठिन दौर में हुई उस दौरान आधारभूत संरचना का विकास नही हो पाया था। शिक्षण संस्थान कम हुआ करते थे, सड़के और बसें तो नाम की थी । ओम प्रकाश की पढाई की ललक ने इन सब बातो को दरकिनार कर पढाई की तरफ ध्यान दिया।वह रोज आठ किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल आते और वापिस घर पंहुचकर पिता की मदद के लिए खेती का काम करते थे ताकि पिता की नाराजगी को दूर किया जा सके। बारहवीं तक कि पढ़ाई पूरी करने के बाद 1965 में ओमप्रकाश की सरकारी नौकरी लग गई तथा उनकी पहली तैनाती गिरीपार के दूरदराज क्षेत्र के कफोटा स्कूल में बतौर शारीरिक शिक्षक हुई। उनका यह सफर लंबा चला और आखिर मेंं वह जिला के उच्च पद तक पहॅुंच गए। वर्ष 2004 में वह सहायक जिला अधिकारी के पद से सेवानिवृत हुए और उसके बाद से समाज सेवा करने में लगे है। इनका विवाह श्रीमती प्रतिमा से जिनसे इनके जीवन बहार में एक बेटा भुलेश्वर तथा बेटी आए । बेटा जहॉं अपने दादा पड़दादा के पैतृक व्यवसाय कृषि को अपनाए हैं वहीं बेटी का विवाह हो चुका है और वह अपना वैवाहिक जीवन सुख पूर्वक व्यतीत कर रही है।ओम प्रकाश का बाहती समुदाय के उत्थान के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है । अपने समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करने में वह हमेशा अग्रणी रहते है।प्रांतीय स्तर की बैठक में उनकी उपस्थिति रहती है।इस समय ओमप्रकाश पांवटा साहिब किसान सभा के अध्यक्ष हैं । उनका कहना है कि पांवटा साहिब में धान व गेंहू खरीद केन्द्र पर आढ़ती बिठाना और खरीद फरोख्त व्यवस्था को दुरूस्त करवाना उनका मुख्य लक्ष्य है।

वर्ष : 23 अंक : 47

मंत्री पद के लिए पांवटावासी भी हैं हकदार