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“भारत सृष्टि का ताज हो यही कहे मेरा मन”: कुंजना शर्मा

 

सहारनपुर (ब्यूरो):‘चलता चल और संभलना सीख’ पेज के माध्यम से एक ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन गूगल मीट पर गत दिवस दिनांक 27/09/2020 को किया गया। जिसमें “कवि, कविता और हम” इसका विषय रखा गया है। जिसमें देश ही नहीं अपितु विदेशो से भी कवियो ने अपनी सहभागिता की। यह काव्य गोष्ठी इंजी. विपुल माहेश्वरी अनुरागी सहारनपुर द्वारा आयोजित की गई। जिसकी समन्वयक डॉ.शुभ्रा माहेश्वरी(कवयित्री/मंच संचालिका) ने बदायूं से की और संचालन कर कहा-“चलिए कुछ ताना-बाना इस तरह बुनते हैं, अपनों को साथ लेकर कुछ फूल चुनते हैं।” साथ ही अपनी व्यंग्य कविता सांप का तमाशा पढ़ी।

कार्यक्रम का संयोजन कुंजना शर्मा (नाइजीरिया) ने किया। साहित्यिक सेवा करने वाले एवं साहित्य को प्यार देने वाले बहुत से कविगणो ने इस गोष्ठी में अपनी आहुति अपने काव्य के माध्यम से दी। यह एक ऐतिहासिक क्षण था जहां पर माननीय अरुण जैमिनी, डॉ सुभाष वसिष्ठ (वरिष्ठ नवगीतकार), डॉ कविता अरोरा प्रसिद्ध कवयित्री व गायिका (बरेली), डॉ शुभम त्यागी (मेरठ), प्रसिद्ध एंकर, डॉ ममता नौगरिया(बदायूं), डॉ कमला माहेश्वरी, डॉ निशि अवस्थी (बदायूं) अंतरराष्ट्रीय पटल के कवियों ने इस आयोजन को प्रोत्साहित करने हेतु पूर्व में शुभकामना वीडियो भी दिए।

देश के कोने कोने से कवि/कवयित्रियों ने भाग लेकर अपने काव्य का लोहा मनवाया। जिसमें आचार्य संजीव आर्य रूप, डॉ निशि अवस्थी, भरतभूषण, संगीता आत्रे, सोनू सैनी, ,भार्गवी (कनाडा),सरदार हरचरन सिंह (जम्मू),आचार्यशबनम(हिमाचल),नीमाशर्मा(नजीबाबाद),सविता वर्मा गजल व मनुश्वेता(मुजफ्फरनगर),अखिल शर्मा स्नेही(गुजरात),रश्मि भूमिया (मुम्बई), सीमा ठाकुर (पांवटा साहिब), बलदेव सनेटा सहित 30 से अधिक देश विदेश से कविगण ने काव्यपाठ किया।

प्राय ऐसे आयोजन कराना बेहद मुश्किल होता हैं जहां अनेको विधाओ के साथ सारे कवियों को एक मंच पर जोड़ा जाए। समन्वयक डॉ शुभ्रा माहेश्वरीविपुल माहेश्वरी अनुरागी आयोजक व नाइजीरिया की कुंजना शर्मा ने इस आयोजन के माध्यम से नए कवियों को भी एक मंच देने की कोशिश की। आनलाइन कार्यक्रम गूगल मीट पर हुआ। फेसबुक पेज पर भी इसे सुना।
सभी की रचनाओं के कुछ अंश-
इंजी विपुल माहेश्वरी अनुरागी(आयोजक) ने कुछ यूं अपनी वेदना व्यक्त की कि‌ “ना ही दादी नानी रही सर पर मेरे “विपुल” ना ही घर पर ,पिता का साया रहा हैं । बिलखती, सिसकती रही माँ जिंदगीभर उसका भी कर्ज ताउम्र बकाया रहा हैं।” नाइजीरिया से कुंजना शर्मा ने कहा-“भारत सृष्टि का ताज हो यही कहे मेरा मन” संगीता आत्रे (मेरठ )ने कहा-“देह मिट जाती है बस प्यार अमर रहता है,आदमी का यहाँ व्यवहार अमर रहता है”। सरदार हरचरन सिंह सूदन, जम्मू – कश्मीर ने कहा-” भगवान तेरी पूजा करूं हृदय हो मेरा साज”। डॉ ममता नौगरिया ( बदायूं) ने कहा-“दुनिया का सफर तय करना है, दुनिया को मुठ्ठी में भर कर।”

विनीता चौहान (इंदौर)-“देह से देवी के बीच गुम होती मैं,अपना ही स्त्रीत्व ढूंढती मैं…अपने ही हिस्से के आसमान में,अपना ही व्यक्तित्व निखारती मैं..”
डाँ निशि अवस्थी(बदायू ) ने कहा-“बलिहारी है भारत सेना के हर वीर जवान की। जय जय अमर शहीदों की है जय जय हिन्दुस्तान की।” कनाडा से भार्गवी कल्लाकुरी ने अपने देश को समर्पित व देशभक्ति से ओतप्रोत रचना पढ़ी। भारत भूषण वर्मा(आसंध करनाल हरियाणा) ने कुछ इस तरह कहा-“जीत ज़िन्दगी हार ज़िन्दगी तेरा मेरा तेरा मेरा प्यार ज़िन्दगी, अखिल शर्मा स्नेही
किताब-ए-ज़िंदगी कहती ,ज़िंदगी एक पहेली है”।

सविता वर्मा गजल (मुजफ्फरनगर)ने कहा-“उनकी नजरो के अजब इशारे हैं।।दिल,जान कहें कि सब हमारे हैं। बेवफा ये दिल भी हमारा निकला खेल ये इश्क के “ग़ज़ल’ सारे हैं”। मनुश्वेता मुजफ्फरनगर ने कहा “ज़िन्दगी तूने हँसना सिखाया,तूने ही तो मुझको रोना सिखाया ,पल पल जूझती रही मुश्किलों से,तूने ही तो उनसे लड़ना सिखाया”। डॉ कमला माहेश्वरी ( बदायूं) ने मां को नमन करते हुए कहा-” की बार ,वार कर वरदा ,आतंकी महिषासुर पर। मधु कैटभ अरु शुम्भ- निशुम्भ मार असुर जन निर्भय कर”।। आचार्य शबनम शर्मा ने कहा-” जरा मुड़ते हैं आज ,कल की टोह लेते हैं।”

कार्यक्रम का सफल आयोजन इंजी विपुल माहेश्वरी अनुरागी (सहारनपुर) , संयोजन कुंजना शर्मा (नाइजीरिया )व संचालन व समन्वयक डॉ शुभ्रा माहेश्वरी (बदायूं )का रहा। 

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