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शिक्षकों के सामने बहुत विकट चुनौतियां हैं

रामपाल पंवार

सरकार द्वारा बनाई गई नयी शिक्षा नीति के तहत होने वाली ऑनलाइन कार्यशालाओं का आयोजन आजकल लगभग सभी सरकारी प्राईमरी स्कूलों में हो रहा है और लगभग सभी अध्यापक ऑनलाइन जुड़ कर कार्यशाला को सफल भी बना रहे हैं। जैसा कि कोरोना  महामारी के प्रकोप के बाद बच्चों के शैक्षणिक स्तर में बहुत ज्यादा गिरावट आई है। उस कमी को पूरा करने के लिए अध्यापकों के सामने बहुत विकट चुनौतियाँ हैं। जिससे उभरने के लिए लगभग हर अध्यापक को पहले से कहीं ज्यादा मेहनत करने की आवश्यकता है। हालांकि,  निपुण भारत अभियान के तहत बहुत से नवीन तरीकों से शिक्षा को और सरल बनाने का प्रयास किया जा रहा है जो बहुत फलदायक सिद्ध होगा।

ऑनलाइन कार्यशालाओं का आयोजन समय की बचत करने के साथ साथ मितव्ययी भी है।  विभागीय अधिकारियों को निरीक्षण में भी आसानी रहती है। भले ही समय सीमा कम हो, परन्तु इस तरह की कार्यशालाओं के द्वारा एक-एक बच्चे की गतिविधियों और उसके शैक्षणिक स्तर की जाँच भी सरलता से की जा सकती है। गुणात्मक शिक्षा के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए केन्द्रीय स्तर पर केन्द्रीय मुख्य शिक्षकों को ऑनलाइन निरीक्षण इत्यादि जरुर करते रहने चाहिए ताकि बच्चे- बच्चे तक पकड़ हो सके। क्योंकि सरकार द्वारा चलाए जा रहे सभी अभियान तथा शिक्षा नितियों में कोई कमी नहीं होती। कमी होती है तो बस उसे जमीनी स्तर पर लागू करने की। अकसर बहुत जरुरी शिक्षा संदेश व निर्देश सही तौर पर जमीनी स्तर पर नहीं पहुंच पाते थे। मगर ऑनलाइन  कार्यशालाओं द्वारा सीधे संवाद के माध्यम से सभी निर्देश स्पष्ट हो जाते हैं। क्योंकि यदि जड़े सदृढ़ होंगी तो ‘ निपुण भारत का वृक्ष’ भी स्वभाविक रूप से पूरी तरह से हरा भरा होगा।

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