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हिमाचल प्रदेश विश्विद्यालय की नाकामी के कारण हज़ारों छात्रों को विश्वविद्यालय के रोज़ाना काटने पड़ रहे है चक्कर : विक्रांत चौहान

 

 शिमला(प्रेवि):- हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय का एक और मनमानी फीस का मामला सामने आया है। हिमाचल प्रदेश के अंदर 12 महाविद्यालयों में चल रहे वॉक्केशनल कोर्स बी.वॉक में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय द्वारा साधारणतय जब अन्य कोर्सेज के छात्रों की चौथे और छटे सेमेस्टर के एग्जाम फॉर्म भरते हुए एग्जामिनेशन फीस ली जा रही थी, तो उस वक्त बी.वॉक के छात्रों से विश्वविद्यालय ने इन हज़ारों छात्रों से फीस नहीं ली है जो फीस उस समय 800 रुपए ली जा रही थी, लेकिन वर्तमान में जब बी. वॉक का पहला ही बेच पासआउट हो चुका है तो उन हजारों छात्रों की डिटेल मार्क्स कार्ड रोक दिए गए है। अब वो छात्र आगामी शिक्षा पाने के लिए वंचित होते नजर आ रहे है।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के प्रांत सह मंत्री विक्रांत चौहान ने मीडिया को जानकारी देते हुए स्तिथि सपष्ट की है कि हिमाचल प्रदेश विश्विद्यालय की नाकामी के कारण हज़ारों छात्रों को विश्वविद्यालय के रोज़ाना चक्कर काटने पड़ रहे है। ऐसी परिस्थिति में जब छात्रों ने विश्वविद्यालय जाना शुरू किया तो अचानक से विश्वविद्यालय प्रशासन ने तुगलकी फरमान जारी करते हुए एक अधिसूचना महाविद्यालय को भेज दी है, जिसमे साफ तौर पर अंकित किया गया है कि 2 दिन के भीतर ही 1200 रुपए एग्जामिनेशन फीस छात्रों को जमा करनी होगी। केवल एग्जामिनेशन फीस ही नहीं बल्कि उसके अलावा 3200 रुपए प्रत्येक छात्रों से एक्स्ट्रा फीस के रूप में लेने का HPU ने फरमान जारी किया है।

जबकि एक ओर हम देखते है की इसमें मासूम छात्रों की कोई ग़लती अथवा कोई लापरवाही नहीं है। HPU प्रशासन की नाकामी के बावजूद भी ऐसे महामारी के समय में भी फीस ऐंठने का काम किया जा रहा है जो किसी भी ओर से छात्रों के लिए या शिक्षा के लिए तर्कसंगत नहीं है। उन्होंने कहा कि यह कोई पहला मामला हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय का नहीं है जब विश्विद्यालय की नाकामी के कारण छात्रों को प्रताड़ित होना पड़ा है। ऐसे पहले भी कई मामले सामने आए है।

हाल ही में 2017-20 का बेच महाविद्यालय से पासआउट हुआ है। 3 महीने से ज्यादा का समय परिणाम घोषित कर के हो गया है, लेकिन अभी तक बीबीए की सीएमसी भी छात्रों को नहीं मिल पाई है, जिस कारण प्रदेश के लाखो छात्रों के दाखिले अन्य प्रदेशों के विश्विद्यालय से रिजेक्ट हो गए है, जो साफ तौर से हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की नाकामी को दर्शाता है।

अत: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् प्रशासन से मांग करती है कि शीघ्र HPU मामले की गंभीरता को समझते हुए तथा छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए छात्रों से एक्स्ट्रा फीस के नाम पर 3200 की धनराशि वसूलने का काम ना करें। अन्यथा विद्यार्थी परिषद आम छात्रों के हित कि लड़ाई लड़ने से गुरेज नहीं करेगी।

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