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आरटीआई के माध्यम से समाजसेवा में लगे है चतर सिंह चौधरीं

जनसूचना अधिनियम के माध्यम से देश में भ्रष्टाचार पर काफी अंकुश लगा है और इसके लिए आरटीआई एक्टिविस्टों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी है। आरटीआई अधिनियम के माध्यम से भ्रष्टाचार पर चोट करने वालों के उत्साह में कमी भी नहीं आती जैसे-जैसे उन पर हमले होते रहते हैं। ऐसा ही एक नाम जिला सिरमौर के पांवटा साहिब में भी है जिन्होंने आरटीआई के माध्यम से अनेकों बड़े-बड़े घोटालों को सरकार के सामने लाने में सफलता हासिल की है उनका नाम है चतर सिंह चौधरी, जो एक सेवानिवृत्त अधिकारी हैं तथा उन्होंने सरकारी विभाग के कामकाज को भी बारीकी से देखा है। इनका जन्म 10 दिसम्बर 1953 को गुरूवाला तहसील पांवटा साहिब में हुआ। इनके पिता स्व. उत्तम सिंह एक कृषक थे तथा माता धनदेई एक कुशल गृहिणी। इनके चार भाई चन्दा सिंह पटवारी, बग्गा सिंह फौज में थे जिनका स्वर्गवास हो गया है तथा बंसी राम जो पेशे से कृषक थे, का भी स्वर्गवास हो गया है। उनसे छोटे मेहर सिंह भी कृषक का कार्य देखते हैं। इनके दो बहनें केसरो देवी व निर्मला देवी है जो अपना -अपना वैवाहिक जीवन सुखपूर्वक व्यतीत कर रही है।चतर सिंह की पढ़ाई भंगाणी के प्राथमिक स्कूल से शुरू हुई। इन्हांने मैट्रिक की पढ़ाई विकासनगर के आशाराम वैदिक इन्टर कॉलेज से हासिल करने के बाद नाहन से आईटीआई का डिप्लोमा प्राप्त किया।
वर्ष 1977 में विद्युत विभाग में बतौर अटेंडेंट इन्होंने अपनी नौकरी की शुरूआत की तथा इस विभाग में इनकी पहली तैनाती सतौन में, उसके बाद में पांवटा साहिब, सपाटू, ददाहू में इन्होंने अपनी सेवायें दी। उसके बाद वर्ष 1996 में पदोन्नत होकर गोंदपुर आ गये और फिर वर्ष 2005 में अतिरिक्त सहायक अभियन्ता विद्युत विभाग में पांवटा, शिलाई, सतौन, धौलाकुंआ में अपनी सेवायें दी और वर्ष 2011 में सेवानिवृत्त हुए। अपने अच्छे अधिकारियों में यह डी.के. गुप्ता अधिशाषी अभियन्ता को मानते हैं जिनके सान्निध्य में रहकर इन्होंने काम भी सीखा। अपने अच्छे मातहतों में शेखरानन्द जेई, बलदेव सिंह जेई, तथा आत्माराम को मानते हैं। अपनी नौकरी के दौरान इन्होंने जिन-जिन स्थानों पर अपनी सेवायें दी उनमें सबसे अधिक आनन्द इन्हें पांवटा, शिलाई तथा धौलाकुंआ में आया। अपने बचपन के मित्रों में यह कल्याण सिंह सेवानिवृत्त शारीरिक शिक्षक, राजाराम, तेलूराम लेक्चरर को मानते हैं। इनके आदर्श शिक्षक निहालगढ़ के रहने वाले मि. बख्शी तथा नाहन आईटीआई में बीर सिंह रहे हैं। अपने जीवन में आदर्श पुरूष का दर्जा जहॉं यह अपने पिता को देते हैं वहीं महिलाओं में इनकी आदर्श इनकी माता जी रही हैं। दुनिया में सबसे अधिक स्नेह जहॉं यह अपनी माता जी व बेटी से करते हैं वहीं स्वयं भी अपनी मॉं से ही इन्हें सबसे अधिक प्यार मिला है।
चतर सिंह का विवाह डोईवाला, उत्तराखंड निवासी नानकूराम की सुपुत्री संतोष से हुआ जिनका परिवार मूलरूप से पुरूवाला तह.पांवटा साहिब का रहने वाला है। संतोष से इनके जीवन बहार में एक बेटा और एक बेटी आए। बेटा अनुज चौधरी अपने कार्य में रत हैं वहीं बेटी मंजू दिल्ली में ब्याही है और वर्तमान में यू.एस.ए. में रह रही है।
खेलों में जहॉं यह दौड़ में हमेशा अव्वल रहे हैं वहीं लॉंग जम्प, हाई जम्प तथा खो-खो खेल भी इन्होंने स्कूल समय में खूब खेले हैं। खिलाड़ियां में यह साइना नेहवाल को पसन्द करते हैं। अपनी बचपन की यादों को ताजा करते हुए चतर सिंह कहते हैं कि चूंकि पापा कुछ सख्त मिजाज के थे तो जब भी बचपन में यह शरारतें करते थे तो पिता जी से पिटाई भी हो जाया करती थी। एक बार पिता जी ने कोई काम बताया जो इन्होंने नहीं किया, इस बात को लेकर पिता जी ने खूब पिटाई की और यह घर से भाग गए और अपने मामा के घर चले गये वहॉं एक रात रहने के बाद अगले दिन वापिस घर आए गए। इस दिन को यह कभी नहीं भूलते। अपनी पत्नी से इनके बड़ेमधुर सम्बन्ध हैं।
राजनीतिज्ञों में यह सरदार रतन सिंह जो एक ईमानदार नेता थे को पसन्द करते हैं। इनके जीवन में सबसे सुखद दिन वह था जब इनकी नौकरी लगी और उसके बाद दूसरी बार खुशी का मौका तब आया जब एक मात्र बेटे की नौकरी लगी। खाने में यह सादा एवं शाकाहारी भोजन पसन्द करते हैं जिसमें मूंग मलका की दाल व भिंडी और काले चने , राजमा का सब्जी यह बडे़ चाव से खाते हैं। मीठा चूंकि इनकी कमजोरी है इसलिए मधुमेह के रोगी होने के बावजूद भी बर्फी और पेठे की मिठाई को चोरी-चोरी से ही खा लेते हैं।
आरटीआई में आपका रूझान कब से हुआ इस सवाल के जवाब में चतर सिंह कहते हैं कि अपनी विद्युत विभाग में सेवाकाल के दौरान ही वर्ष 2011 में एक टेंडर जो एक लाख की अपेक्षा साढ़े तीन लाख में पास किया गया जिसकी संस्तुति किये जाने को लेकर इन पर भी काफी दबाव डाला गया लेकिन इन्होंने उस कार्य करने से इन्कार कर दिया और फिर वह कार्य किसी अन्य अधिकारी से करवा लिया गया। और ऐसा ही वाकया शिलाई में भी हुआ जिसे भी इन्होंने करने से इन्कार कर दिया था। लेकिन यह जब सेवानिवृत्त हो गए थे तब इन्होंने इस कांड को आरटीआई के माध्यम से उजागर करने की ठानी और इस मुद्दे को विजिलेंस तक उठाया। यही नहीं आरटीआई के माध्यम से यह इस तरह के दर्जनों घोटालों को भी उजागर करने में लगे हैं जिसके माध्यम से इन्होंने आईपीएच के घोटालों को भी उजागर किया और नगर पालिका द्वारा किये गये लाखां रूपये के घोटालों का खुलासा करने में भी जी जान से लगे हुए हैं।
चतर सिंह मानते हैं कि सामान्य आदमी के लिए आरटीआई किसी भी बहुत बड़े हथियार से कम नहीं है। उनका कहना है कि अगर सभी लोग जागरूक हो जाएं तो भ्रष्टाचार पर काफी हद तक अंकुश लग सकता है। अभी हाल ही में इन्होंने अनेकों घोटालों को जनता के सामने लाने की ठान ली है इनका कहना है कि यह परिणामों की परवाह नहीं करते अपितु अपने काम को पूरी ईमानदारी व तनमयता से करते हैं।
जहॉं यह भ्रष्टाचारियों के लिए एक खौफ बने हुए हैं वहीं ईमानदार अफसरों की कद्र करना भी इनकी आदत में शुमार है। पांवटा साहिब में वर्तमान में कार्यरत अधिशाषी अभियन्ता दर्शन सिंह ठाकुर के दीवाने हैं और उनकी कार्यशाली इन्हें बहुत पसन्द है। इनका कहना है कि जब से दर्शन सिंह ठाकुर ने पांवटा मंडल का कार्यभार संभाला है तब से विद्युत विभाग में अभूतपूर्व विकास हो रहा है।

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