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डाॅ. रितिका नागियाॅं लोगों को कम दाम पर बेहतर सुविधा देने के लिए कृतसंकल्प हैं

मशहूर होम्योपैथिक डाॅ.रोहताश नागियाॅं की अर्धांगिनी डाॅ. रितिका नागियाॅं एक ऐसी महिला हैं जिनमें सर्वगुण सम्पन्न महिला के गुण स्वतः ही दिखाई देते हैं। इन्होंने महिलाओं के स्वास्थ्य को देखते हुए पांवटा साहिब में एक वीएलसीसी सैलून खोला जिसका उद्घाटन भी यहाॅं के पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष व समाजसेवी एवं कांग्रेसी नेता सरदार ओंकार सिंह द्वारा किया गया था। डाॅ. रितिका कहती हैं कि वीएलसीसी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की संस्था है जो महिलाओं के चर्म रोगों से सम्बन्धित व बालों की देखभाल के लिए कृत संकल्प संस्था है और यहाॅं इस तरह के सेलून की बहुत आवश्यकता थी, उनका कहना है कि उनका यह सैलून मात्र सैलून नहीं अपितु एक ऐसा चिकित्सीय संस्थान है जहाॅं पांवटा साहिब ही नहीं अपितु नाहन- हरबर्टपुर व आसपास के इलाकों के लोगों को भी फायदा पहुॅंच रहा है। डाॅ. रितिका ने बताया कि उनके इस वीएलसीसी सैलून/ क्लीनिक में मुंह पर पिंप्पल, झाईंया, रिंकल्स, काले दाग- धब्बे आदि से महिलाओं व युवाओं की सुन्दरता जैसी बीमारी को इस प्रणाली से शीघ्रता से दूर किया जाता है जिससे चेहरे संबधी रोगों से युवाओं एवं महिलाओं को काफी फायदा भी पहुॅंच रहा है। यही नहीं इनके यहाॅं बालों की समस्याओं के लिए भी उचित इलाज का प्रबन्ध उपलब्ध है। बालों को किसी रूप में डिजाईन करना चाहे वह करली हो या फिर स्टेट वह सभी सुविधायें उपलब्ध हैं। इस सेलून में आधुनिक अल्ट्रासोनिक, गेल्वेनिक, हाईफ्रिक्विेन्सी, लेज़र आदि उपकरणों से इलाज़ किया जाएगा। डाॅ. रितिका कि इच्छा है कि वह इलाके के लोगों को कम से कम दाम पर बेहतर से बेहतर सुविधा उपलब्ध करा सकेें और इसके लिए वह कृतसंकल्प हैं। अपने इस सैलून में रितिका चिकित्सा सुविधा के साथ-साथ ब्यूटी सेवाएं भी उपलब्ध करा रही हैं।
डाॅ. रितिका का जन्म 7 नवम्बर 1986 को लुधियाना पंजाब में हुआ। जहाॅं की यह मूल निवासी हैं। इनके पिता सुभाष सरीन स्टेट बैंक आॅफ इंडिया में बतौर मैनेज़र सेवानिवृत्त हुए हैं वहीं माता श्रीमती मंजू सरीन प्रधानाचार्या के पद से सेवानिवृत्त हुई हैं। इनके एक बड़े भाई विकास सरीन हैं जिनका लुधियाना में अपना व्यवसाय हैं वहीं भाभी प्रेरणा भी एचडीएफसी इंश्योरेंस कम्पनी में बतौर मैनेज़र के पद से सेवायें दे रही हैं। इनकी एक बड़ी बहन रूचिका हैं जो अपने पति एवं बच्चांे के साथ सिंगापुर में रह अपना वैवाहिक जीवन सुखपूर्वक बिता रही हैं।
रितिका की प्रारम्भिक शिक्षा लुधियाना के कुन्दन विद्या मन्दिर से शुरू हुई जहाॅं से इन्होंने कक्षा 10$2 की शिक्षा ग्रहण की और उसके बाद वर्ष 2004 से 2010 तक लाॅर्ड महावीर काॅलेज से होम्योपैथिक डाक्टरी की डिग्री हासिल की।
रितिका का विवाह 5 मई 2011 को पांवटा निवासी डाॅ. नागियाॅं से हुआ जिनका पांवटा में ही होम्योपैथिक क्लीनिक है। इनके पति भी इनके साथ ही डाक्टरी की पढ़ाई करते थे और इनका यह विवाह प्रेम विवाह है लेकिन पारिवारिक सहमति से विवह सम्पन्न हुआ था। चूंकि यह दोंनो पति-पत्नी साफ दिल इन्सान है और एक दूसरे की भावनाओं को भली-भाॅंति समझते हैं। इसलिए इनका कभी झगड़ा भी नहीं हुआ। रितिका अपनी डाक्टरी की अन्तिम वर्ष की परीक्षा में पूरे काॅलेज में प्रथम स्थान पर रही थी और यह इनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है। यह बताती हैं कि इनके पति मूलरूप से शिमला जिले के रहने वाले हैं जहाॅं आज भी इनके परिवार की लगभग 500 बीघा जमीन रोहडू में है जिसे यह

समय≤ पर देखने भी जाते रहते हैं। इनके पति ने जहाॅं होम्योपैथिक में पूरे विश्व में नाम कमाया है वहीं वह इस लाइलाज़ बीमारी का इलाज करने में पूरी तरह सक्षम हैं और जब एलौपैथिक या अन्य दवायें काम करना बंद कर देती हैं तो वहाॅं इन्ही की दवायें काम आती हैं।
इनके एकमात्र चश्मो-चिराग आयान हैं जो 16 मई 2012 को इनके जीवन बहार में आये, जिसे रितिका सबसे अधिक स्नेह करती हैं और वह भी इनसे काफी स्नेह करता है। आयान अभी प्रथम कक्षा का छात्र है और द स्कोलर्स होम स्कूल मेंअध्ययनरत है। इनकी बचपन की मित्रों में बैंगलोर में रही शिप्रा अग्रवाल हैं जो इनके सम्पर्क में आज भी हैं। अपने जीवन में आदर्श पुरूष का दर्जा यह अपने पिता जी व महिलाओं में अपनी माता जी को अपना आदर्श मानती हैं। इनका मुख्य शौक म्युज़िक सुनना तथा किचन गार्डनिक करना है। फिल्मों में इन्हें सबसे अधिक स्टोरिकल फिल्में ही पसन्द आती हैं तथा अभिनेताओं एवं अभिनेत्रियों में आमिर खान और विद्या बालन की दीवानी हैं।
शिक्षकों में यह अपनी स्कूल समय की अध्यापिका मधु बवेजा जो हिन्दी विषय की अध्यापिका थीं, को पसन्द करती हैं जिनसे इन्हें अपने जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली।
रितिका कहती हैं कि इन्हें सबसे ज्यादा खुशी ज़रूरतमंद की मदद करने पर होती हैं वहीं दुःख दादी जी के देहान्त पर सबसे अधिक हुआ था। इनकी हमेशा से यही चाह रहती है कि यह किसी न किसी तरह स्वयं को सामाजिक कार्यों से जोड़े और इनका कहना है कि समय मिलने पर यह अवश्य अपने इस लक्ष्य को पूरा करेंगी। धार्मिक महिला होने के कारण यह पूजा पाठ में भी पूरी आस्था रखती हैं।
अपनी सासु माॅं शारदा नागियाॅं के बारे में बताते हुए रितिका कहती हैं कि वह इन्हें एक माॅं सा स्नेह करती हैं और ससुर भी ललित कांत नागियाॅं भी इन्हें पिता की तरह स्नेह करते हैं। सासु माॅं जहाॅं नवादा के सरकारी स्कूल मेें प्रधानाचार्या के पद पर तैनात हैं वहीं पिता समान ससुर का भी बहुत पुराना होम्योपैथिक क्लीनिक है और नागियाॅं क्लीनिक के नाम से मशहूर है। इनके एक देवर रजत नागियाॅं हैं तथा देवरानी स्माईला नागियाॅं हैं यह दोनों भी दंत चिकित्सक हैं और देवर जहाॅं डेंटल काॅलेज में बतौर प्राध्यापक अपनी सेवाएं दे रहे हैं। साथ ही इंवनिंग समय में प्रेक्टिस भी करते हैं। वहीं देवरानी का अपना डेंटल क्लीनिक है।

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