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कट्टरपंथियों से बचना होगा

पूरे देश में कोरोना एक महामारी के रूप में फैल गया हे। चीन से इसकी शुरूआत हुई और अब अधिकांश देश इसकी चपेट में हैं। अमेरिका, रूस, इजराईल, जापान जैसे विकसित देशों में भी कोराना ने हा-हाकार मचा दिया है। भारत भी इससे अछूता नहीं हैं ताजा आकंड़ों तक पूरे प्रदेश में 4 हजार से भी अधिक आंकड़ा कोरोना ग्रस्त लोगों में पाये गये। लगभग 3 दर्जन लोग मौत के आगोश में चले गये और सैंकड़ों लोग ठीक भी हो गये लेकिन प्रश्न यह उठता है कि जितनी सावधानी प्रधानमंत्री ने इस बीमारी से बचने के लिए 21 तारीख को शाम को 9 बजे अपने संबोधन में दी थी उसका कहीं न कहीं अच्छे से उसका पालन नहीं किया और इसी वज़ह से शायद इतनी बड़ी संख्या में कोराना वायरस से मौतें हो गई और इसके मरीज हर शहर, हर प्रांत में दिखाई दे रहे हैं। सरकार ने न तो काई बहुत बड़ी कड़ाई बरती थी और न ही पूर्णरूपेण कर्फ्यु लगाया केवल आंशिक रूप से कर्फ्यु लगाया गया तथा लोगों को सिर्फ घर में ही रहने की सलाह दी गई। आवश्यक वस्तुओं की कोई कमी न हो इसके सरकार ने पुख्ता प्रबंध भी कर लिए थे और वह अपने प्रयास में कामयाब भी हो गई थी लेकिन कुछ धार्मिक उन्मादी व्यक्तियों ने सरकार के आदेशों की परवाह न करते हुए एक ही स्थान पर हजारों लोगों को इक्ट्ठा करने में जिनमें विदेशी भी काफी संख्या में शामिल थे, इक्ट्ठा करने में कामयाबी हासिल की और धार्मिक उन्माद के चलते सभी सरकारी निर्देशों को छोड़ते हुए आपस में कई दिन गुजारे। जब मामला गंभीर हो गया तो इन धार्मिक उन्मादी नेताओं ने अपनी गलती न मानकर सरकार व अधिकारियों को कटघरे में लाने की कोशिश की । दिल्ली में निजामुद्दीन मरकज देश के लिए बड़ा घातक सिद्ध हुआ और वहॉं से निकले व्यक्तियों ने जो देश के हर हिस्से में फैल गये, इस बीमारी को फैलाने में अपनी पूरी भूमिका निभाई। जितने भी लोग इस तबलीगी जमात के समारोह में शामिल हुए उन्हें यदि मानव बम की संज्ञा दी जाये तो भी कम नहीं होगा। देश का बुद्धिजीवी चाहे वह किसी भी धर्म या सम्प्रदाय से सम्बन्ध रखता है ने इस महामारी को बड़ी संजीदा तरीके से लिया और सरकार के साथ-साथ डाक्टरों व पुलिस प्रशासन को भी काफी सहयोग दिया लेकिन कुछ हठधर्मी आज भी देश की शांति और भाईचारे को बिगाड़ना चाहते हैं और आज देश को यह समझ लेना चाहिए कि ऐसे लोगों की चालों में न आए और देश की जनता दिल्ली के निजामुद्दीन धार्मिक सम्मेलन में जो -जो व्यक्ति शामिल हुए और देश के दूसरे हिस्सों में गये उनमें से काफी की तो पहचान हो चुकी है लेकिन पुलिस के लिए यह काम भी चुनौती है कि वह किन-किन लोगों से इसके दौरान मिले, इसकी पहचान बहुत ही मुश्किल है। वहीं अभी काफी संख्या में ऐसे भी लोग हैं जिन्हें कोरोना वायरस संक्रमित होने की पूरी -पूरी उम्मीद है। इस बीच वह कितने लोगों से मिले हैं और कितनों में संक्रमण हुआ है इसकी जांच आसान नहीं है। जो भी कहीं भी छिपे हैं उन्हें स्वयं ही बाहर आना चाहिए तथा आम जनता को भी जागरूक होकर इनके नाम पुलिस को देने चाहिए जिससे जल्द से जल्द इस महामारी को रोकने की दशा में उचित कदम उठाये जा सकें।

आयांश

अपने कार्य के प्रति जिम्मेदार आफिसर हैं एस. आर.मरडी