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फोन आते ही पीजीआई पहुचे एसडीएम व टीम, किया रक्तदान

बीबीएन ( एस. गौतम )
चंडीगढ का हिमाचल के साथ अटूट नाता है जो कि अब खून में बदल चुका है। जब भी कभी पीजीआई में ब्लड की कमी आती है तो वहां का प्रबंधन सीमा से सटे बीबीएन के लोगों व एनजीओस को याद करता है। कोरोना महामारी के बीच जहां आम मरीज अब पीजीआई में नहीं जा रहे लेकिन मेजर आपरेशन व हादसों में घायल हादसकों के लिए सेवाएं अब भी जारी है। घर में बैठने की बंदिशे व स्टे होम के नारे के चलते जहां अधिकांश लोग घर में बैठे हैं वहीं पीजीआई में रक्त की कमी होती जा रही है। पीजीआई से क्रांति क्लब के प्रधान नरेंद्र सिंह को फोन आया कि वहां पर 14 यूनिट रक्त की सख्त जरुरत है। नरेंद्र ने यह बात एसडीएम नालागढ़ प्रशांत देष्टा को बताई। उसके बाद पीजीआई से बात हुई तो प्रशांत देष्टा ने 12 ऐसे रक्तवीर युवाओं को तैयार किया जो कि नशे से दूर हो और किसी भी बीमारी ग्रसित न हो और जिन्होने पिछले 24 घंटे में कोई भी दवा का सेवन न किया हो। 13वें नंबर पर उनके गनमैन सतविंदर सिंह सत्ती थे और 14वें नंबर पर वह स्वयं तैयार हुए। पीजीआई ब्लड बैंक ने रक्तदान के लिए आने वाले युवाओं के लिए बाकायदा बस भेजी जिससे पहले सब कर्मवीर युवाओं के पास बनाए गए ताकि पंजाब हरियाणा सीमा में कोई खलल न हो, वहीं एसडीएम कार में अपने चार लोगों के साथ रवाना हुए। एस.डी.एम नालागढ जो कि स्वयं 24 घंटे इस विपदा की घडी में कोरोना से जंग लड रहे हैं । वहीं देश को जब जरुरत पडी तो रक्त दान करने वहां पहुंच गए। सबसे बडा उपमंडल संभालने के साथ जिस प्रकार उन्होने चंडीगढ में जाकर रक्त से जूझ रहे लोगों की जान बचाने में भूमिका निभाई उससे वह अपने आप में मिसाल है। एसडीएम प्रशांत ने कहा कि जब बात किसी की जान बचाने की हो तो हमें पीछे नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि जरूरतमन्द को रक्त मिलना उसी प्रकार है जिस प्रकार मृत को समय पर संजीवनी। पूरे देश में लाकडाऊन की वजह से रक्तदान शिविर आयोजित नहीं हो रहे तो ऐसे में अस्पतालों में रक्त की कमी होना स्वाभाविक है क्योंकि इसका कोई विकल्प नहीं है।

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