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आरटीआई कार्यकर्ता को किया जा रहा परेशान

पांवटा ( हिका )
कुछ सरकारी अधिकारी जनसूचना अधिनियम को ठेंगा दिखाकर अपनी मनमर्जी कर रहे हैं। उनका उद्देश्य जन जनसूचना कार्यकर्ता को परेशान करना मात्र रह गया है। इन सरकारी कर्मचारियों का उद्देश्य आरटीआई कार्यकर्ता को हतोत्साहित करना है जिससे भ्रष्टाचार फलता-फूलता रहे। नगर पालिका पांवटा साहिब ने भ्रष्टाचार की सभी सीमायें लांघी हुई है जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण यह भी है कि एक बहुचर्चित वीडियो के वायरल होने पर जिसमें नगर पालिका के उपाध्यक्ष व अध्यक्ष के पति द्वारा सफाई कर्मियों से ही घूस लेते हुए दिखाया गया था जिस कारण नगर पालिका के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष को इस्तीफा देना पड़ा था। पांवटा दून के विधायक चौधरी सुखराम द्वारा प्रेस कांन्फ्रेंस कर जनता को यह आश्वासन दिया गया था कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच होगी लेकिन चुनावी गणित के रहते अभी तक दोषियों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है और भ्रष्टाचार फलफूल रहा है। ताजा मामला तब सामने जब एक आरटीआई कार्यकर्ता ने नगर पालिका से दिनांक 6/1/2020 को कुछ जानकारियां मांगी तो नगर पालिका ने उनको देने की बजाए अपने पत्र संख्या एम.सी.पी./आर.टी.आ/2018-19-141 दिनांक 1 फरवरी 2020 में मामले की लिपापोती करने की कोशिश की और जवाब नहीं दिया। नगर पालिका के इस रवैये से जहॉं जनसूचना अधिनियम की धज्जियॉं उड़ रही हैं वहीं आरटीआई कार्यकर्ता भी परेशान हो रहे हैं। सरकार व आरटीआई कमिशनर को चाहिए कि ऐसे मामलों में सख्त से सख्त कार्यवाही अमल में लाई जानी चाहिए जिससे आरटीआई कार्यकर्ता हतोत्साहित न हो और उन्हें आरटीआई के तहत जो वह लड़ाई लड़ रहे हैं उसमें सफलता हासिल हो।

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