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विश्वविद्यालय प्रशासन ने ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले छात्रों के सपनों पर फेरा पानी

 

शिमला(प्रे.वि.):- SFI हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई द्वारा पिंक पैटल्स चौक पर धरना प्रदर्शन के माध्यम से विश्वविद्यालय प्रशासन के स्नाकोत्तर कक्षाओं में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा को दरकिनार कर केवल मेरिट के आधार पर दाखिला लेने के फैसले का विरोध किया गया।

एसएफआई पिछले लंबे समय से इस कोरोना काल मे छात्रों के मुद्दों को शासन और प्रशासन के समक्ष उठाती आ रही है। प्रदेश विश्वविद्यालय को इस कोरोना काल मे छात्रों को सुविधाएं मुहैया करवानी चाहिए थी, ठीक इसके उलट शासन और प्रशासन इस समय को एक अवसर के रूप में इस्तेमाल कर रही है। हम देखते हैं कि लगातार इस दौरान छात्र विरोधी निर्णय ही लिए है, चाहे वह शिक्षा पर 18% जीएसटी हो या फिर नई शिक्षा नीति हो लगातार शिक्षा को विशेषाधिकार बनाने की कोशिश की जा रही है जो सिर्फ धन्नासेठों के लिए उपलब्ध होगी।

प्रदेश विश्वविद्यालय में प्रवेश पाने के लिए हर वर्ष प्रवेश परीक्षा आयोजित करवाई जाती थी, लेकिन इस बार जब सम्पूर्ण विश्व कोरोना महामारी से झूझ रहा है तो विश्वविद्यालय प्रशासन निर्णय लेता है कि इस बार BEd के अलावा किसी भी विषय के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित नही करवाई जाएगी। प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदकों ने 700-800 फीस जमा की है और इस बार केवल 17000 छात्रों ने ही पीजी डिग्री में प्रवेश के लिए आवेदन किया है। जब 70000 छात्र प्रोमोशन की बात कर रहे थे तो विश्वविद्यालय ने यह कहकर नकार दिया था कि यह शिक्षा की गुणवत्ता का सवाल है। इसलिए परीक्षाएं जरूरी है

प्रशासन उस समय कह रहा था कि हमारी तैयारियां पूरी है और किसी प्रकार की कोई समस्या नही होगी, लेकिन जब पीजी प्रवेश परीक्षा की बात आई तो विश्वविद्यालय प्रशासन को अचानक से सपना आया कि पीजी प्रवेश परीक्षा के लिए तैयारियां पुरी नही है, क्योंकि विश्वविद्यालय को अब पता चला कि यूजीसी ने 1 नवंबर से नया सत्र शुरू करने के दिशा निर्देश दिए हैं। यदि प्रवेश परीक्षा करवाई तो देरी हो सकती है। इसलिए अपनी नाकामी को छुपाने के लिए मेरिट के आधार पर प्रवेश की बात कही गयी है।

यदि प्रवेश परीक्षा न हुई तो ये ग्रामीण क्षेत्रों में पड़ने वाले उन छात्रों के साथ धोखा होगा, जो कम सुविधाओं के साथ अपनी पढ़ाई ईमानदारी से करते है। प्रवेश परीक्षा के लिए दिन रात तैयारी कर एक बेहतर भविष्य का सपना देखते हैं, लेकिन इस वर्ष विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन हजारों छात्रों के सपनों पर पानी फेरने का काम किया है। 

शहरी क्षेत्रों में तमाम सुविधाओं के साथ उच्चतम मेरिट लेना कोई बड़ी बात नही है। बड़ी बात यह है जो ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधाओं के न होने के बावजूद दृढ़ निश्चय के साथ हजारों छात्र अपने बेहतर भविष्य की आस करता है। 

यदि प्रवेश परीक्षा नही करवाई गई तो विश्वविद्यालय प्रशासन आने वाले समय मे एक प्रदेश व्यापी छात्र आंदोलन के लिए तैयार रहे। एसएफआई साथ ही मांग करती है कि कोरोना काल मे अनेक परिवारों ने अपने रोजगार खोये है, जिसके कारण अनेक छात्र अपनी फीस देने में असमर्थ है। इसलिए एसएफआई मांग करती है कि कंटिन्यूएशन फीस को या तो कम किया जाए या माफ की जाए

साथ ही प्रदेश सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन यूजी प्रथम ओर द्वितीय वर्ष के छात्रों की परीक्षाओं पर भी अपनी स्थिति स्पष्ट नही कर रहा है। छात्रों ने अगले वर्ष में प्रवेश ले लिया है लेकिन पिछले वर्ष की परीक्षाएं होनी है या नही इस पर अभी तक भी छात्रों में, संशय की स्थिति बनी हुई हैं। एसएफआई मांग करती है कि जल्द ही छात्रों को प्रोमोट किया जाए ताकि छात्र तस्सली से अगली कक्षा में अपनी पढ़ाई पूरी कर सके।

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