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वृद्धा से क्रूरता प्रदेश पर कलंक

हिमाचल प्रदेश के सरकाघाट की गाहर पंचायत में एक 80 वर्षीय वृद्धा को डायन बताकर जिस तरह कुछ समाज के ठेकेदारों ने उसके साथ मुॅंह पर कालिक पोथने, बाल काटने व जूतों की माला पहनाकर घूमाने का जो कुकत्य किया है उसकी जितनी भी निंदा की जाए वह कम है। यह मामला सरेआम होता रहा और पंचायत में इसके विरूद्ध किसी ने भी आवाज नहीं उठाई तो यही माना जाएगा कि पूरी पंचायत की सहमति ही इस पूरे कुकृत्य को करने की थी। मंडी जिले की इस पंचायत में आस्था के नाम पर इन्सानियत पूरी तरह शर्मसार हुई है। इस महिला पर जादू टोने करने का आरोप लगायागयाऔर वृद्धा कोगॉंवमें जूतों की माला पहनाकर, तथा मुंह काला कर घूमाया गया और वीडियो भी बनी और उस वीडियो के वायरल होने से ही मामला सामने आया। आज के समाज में भी इस तरह के मामले यदा-कदा सामने आते ही रहते हैं लेकिन इस बार मामला मीडिया में आने से काफी प्रकाश में आ गया और इस मामले में अनेकों पुरूषों व महिलाओं सहित भारी संख्या में लोगों को दोषी मानकर उन्हें कानून के कटघरे में खड़ा कर दिया गया। इन सभी आरोपियों पर धारा 147, 149, 452, 435, 355 और 427 लगाई गई है। यह दिल दहलाने वाला वाकया पूरे गॉंव के सामने हुआ इसलिए यह मामला और भी गंभीर कहा जा सकता है। इस मामले में महिलाएं भी किसी तरह पीछे नहीं रही लेकिन मामला प्रकाश में आने पर महिला आयोग के सक्रिय होने से इस बुजुर्ग महिला को न्याय मिलने की आस अवश्य जगी है । हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर महिला आयोग व सरकार से पूरी रिपोर्ट एक सप्ताह के अन्दर-अन्दर मांग कर इस बात को साफ कर दिया है कि अदालते ऐसे कुकृत्यों पर पूरी तरह नज़र रखे हुए है और ऐसे मामले खत्म हों उसके लिए प्रयासरत है। उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीशों की खंडपीठ ने समाचार पत्रों की खबर पर ही स्वतः संज्ञान लेकर इस मामले की गंभीरता पर अपने विचार प्रकट कर दिये हैं। इस मामले को कुछ मानवाधिकार के प्रहरियों ने मानवाधिकार आयोग तक भी पहुॅंचा दिया है और आयोग ने शिकायत की है कि तीन दिन तक इस कृत्य पर कोई कार्यवाही न कर अधिकारियों पर भी गाज गिरनी चाहिए। पुलिस भी मामले की गंभीरता को देखते हुए जो सुस्त बैठी थी अब मुस्तैद हो रही है और आरोपी 24 लोगों को गिरफ्तार भी कर चुकी है तथा अपराधियों को कोर्ट में पेश कर सलाखों के पीछे भी पहुॅंचा दिया है। अब तक मामले में 24 से अधिक गिरफ्तारियॉं हो चुकी हैं जिनमें पुरूष और महिलाएं दोनों ही काफी-काफी संख्या में शामिल हैं। माननीय अदालत के हस्तक्षेप से यह तो साफ हो गया है कि पीड़िता को न्याय अवश्य मिल जाएगा लेकिन इस तरह की वारदातों की पुनरावृत्ति न हो पाए इसके लिए तो सरकार और पुलिस के साथ-साथ समाज की भी बराबर की जिम्मेदारी है। इस कुकृत्य में शामिल लोगों के खिलाफ तो कार्यवाही होनी ही चाहिए लेकिन साथ ही उन अधिकारियों को भी जवाबदेह होना ही चाहिए जिन्होंने इस वारदात की गंभीरता को नहीं समझा और पीड़िता को न्याय दिलाने व सुरक्षा देने के लिए भी कोई पहल नहीं की।

कमलजोत

राम मन्दिर पर फैसला देने वाले रंजन गोगोई (मुख्य न्यायाधीश, उच्चतम न्यायालय)